क्या है 'टाइम कैप्सूल' जिसकी राम मंदिर के नीचे लगाने उड़ी अफवाह,इंदिरा गांधी ने डलवाया था लालकिले मे

punjabkesari.in Tuesday, Jul 28, 2020 - 01:08 PM (IST)

नेशनल डेस्कः मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी में 5 अगस्त को 70 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर में मंदिर के भूमि पूजन की तैयारियों के लिए पूरी अयोध्या को सजाया और संवारा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे और मंदर की नींव रखेंगे वहीं इस दौरान राम मंदिर पूजन में दीपोत्सव की अलौकिक छटा देखने को मिलेगी।

PunjabKesari

महंतों ने भी लोगों से अपील की कि इस दिन अपने घरों में दिए जलाएं क्योंकि राम मंदिर निर्माण दिवाली के उत्सव से कम नहीं हैं। इसी बीच जो एक और बात इन दिनों चर्चा में है वो है राम मंदिर के नीचे लगने वाला टाइम कैप्सूल (Time Capsule)। दरअसल सोशल मीडिया पर खबरें हैं कि टाइम कैप्सूल अयोध्या में राम मंदिर की नींव में 200 फीट नीचे लगाया जाएगा। हालांकि अयोध्या से महामंत्री चंपत राय ने इन खबरों का खंडन किया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। मंदिर के नीच कोई टाइम कैप्सूल नहीं लगाया जाएगा। हालांकि कई लोग जानना चाहता है कि आखिर टाइम कैप्सूल है क्या। तो बता दें कि साल 1973 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भी ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल लाल किले के 32 फीट नीचे डलवाया था।

PunjabKesari

क्या होता है टाइम कैप्सूल?
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है जिसे विशिष्ट सामग्री से बनाया जाता है। टाइम कैप्सूल में हर तरह के मौसम का सामना करने की सक्षमता होती है। इसे जमीन के अंदर काफी गहराई में दफनाया जाता है। गहराई में होने के बावजूद भी हजारों साल तक न तो टाइम कैप्सूल को कोई नुकसान पहुंचता है और न ही वह सड़ता-गलता है। इसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख होता, खासकर तब का जब उस भवन या मूर्ति का निर्माण हो रहा हो। भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 30 नवंबर, 2017 में स्पोन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल मिला था। यह यीशू मसीह के मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के अंदर एक दस्तावेज था जिसमें 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सूचना थी।

PunjabKesari

इंदिरा गांधी ने लाल किले में डलवाया था टाइम कैप्सूल
15 अगस्त साल 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही टाइम कैप्सूल डाला था। इसे कालपत्र नाम दिया गया था। साल 1970 के शुरुआती दिनों में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ताकतवर शख्सियत के रूप में उभरी। उन्होंने भारत की राजनीति को नया आकार देने में मदद की थी। उस समय उन्होंने लाल किले के परिसर में टाइम कैप्सूल दफन करवाया था। इस बारे में Netaji: Rediscovered नाम की किताब में डिटेल से बताया गया है। इस किताब को कनाईलाल बासु ने लिखा है।

 

हुआ था विवाद
इंदिरा सरकार चाहती थी कि आजादी के 25 साल बाद की स्थिति को संजोकर रखा जाए। इसके लिए टाइम कैप्सूल बनाने का आइडिया दिया गया। लेकिन तब विपक्ष ने आरोप लगाया था कि इस कालपत्र में इंदिरा ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है। हालांकि इंदिरा सरकार के इस कालपत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुला। दरअसल 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने भी इस बात का खुलासा नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था।

PunjabKesari

पीएम मोदी पर भी लगे थे आरोप
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए पीएम नरेंद्र मोदी पर साल 2011 में टाइम कैप्सूल दफनाने का आरोप लगाया था। विपक्ष ने तब आरोप लगाया था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Seema Sharma

Recommended News

Related News