किडनी की बीमारी व ट्रांसप्लांट, वो सब कुछ जो आप जानना चाहेंगे....

Saturday, Jun 04, 2016 - 04:03 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत में हर साल किडनी के मरीज तेजी से बढ़ रही है। हालत यह है कि हर साल चार लाख किडनी डोनर्स की जरूरत है, लेकिन इसका दस फीसद भी किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पाती है। हमारे देश में आज भी लोग अंगदान को लेकर खुलकर आगे नहीं आ रहे हैं। हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि मरने के बाद जिस प्रकार शरीर के सारे गहने उतार कर उसे कहीं और प्रयोग कर लिया जाता है, तो नश्वर शरीर के ब्रेन डेड होने की स्थिति में हम लोग अंगदान करने में हिचक क्यों करते हैं। ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान करने से सात लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।

आठ हजार मरीजों को ही मिल पाती है किडनी
भारत में 20 लाख से अधिक लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं। इसमें हर साल 4 लाख मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। इसके लिए देश में हर साल 4 लाख किडनी दान करने वालों की जरूरत है। लेकिन भारत में हर साल 7000 से 8000 हजार ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाती हैं। जरूरत और पूर्ति के बीच की यह दूरी डोनर्स के कमी के कारण है।

किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़ीं ये बातें जा्नना जरूरी
- प्रत्येक अस्पताल के पास एक आधिकारिक कमेटी होती है जो डोनेशन की इजाजत देती है।
-जो डॉक्टर्स ट्रीटमेंट में शामिल होते हैं वे डोनेशन के लिए इजाजत देने वाली टीम में शामिल नहीं होते।
-जीवित व्यक्ति द्वारा किडनी डोनेट करने के मामले में डोनर के पास मरीज से पारिवारिक संबंध का प्रूफ होना जरूरी है।
-हर महीने होने वाले किडनी ट्रांसप्लांट की जानकारी मुल्यांकन के लिए स्वास्थ्य विभाग को भेजना अनिवार्य है।
-किडनी ट्रांसप्लांट की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है।
-कानून के अनुसार शरीर के किसी भी हिस्से को बेचने या खरीदने पर 10 साल की सजा और 2 करोड़ तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

जीवित लोग ही करते हैं 95 फीसदी किडनी डोनेट
परिवार में माता, पिता, बेटा, बेटी, दादा और दादी अपनी किसी भी परिवार के सदस्य के लिए किडनी डोनेट कर सकते हैं। अलग से डोनर्स के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ती है। एक आंकड़े के अनुसार 95 फीसदी किडनी डोनेशन जीवित लोगों द्वारा किया जाता है और केवल पांच फीसदी ही ब्रेन डेड हो चुके लोगों द्वारा किया जाता है।

कौन होता है ब्रेन डेड
जब ब्रेन काम करना बंद कर दे और दिल की धड़कनें चल रही हों, उस स्थिति को ब्रेन डेड कहा जाता है। डॉक्टरों के लिए किसी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करना बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है।

ये लक्षण नजर आएं तो हो जाएं सावधान
सुबह सोकर उठने पर मुंह पर सूजन का होना। रात में बार-बार टॉयलेट के लिए जाना। पानी ज्यादा पीने पर भी यूरिन कम आना। यूरिन का रुक-रुक कर आना। यूरिन का रंग लाल होना। पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि व महिलाओं में यूरिन इनफेक्शन भी इसका कारण हो सकता है।

किडनी खराब होने के कारण
डॉक्टरों के मुताबिक, किडनी के मरीजों में से एक चौथाई में किडनी में गड़बड़ी का कोई कारण ज्ञात नहीं होता है। इस गड़बड़ी के कारणों में एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारकों का अत्यधिक इस्तेमाल भी हो सकता है। मधुमेह के शिकार लगभग 30 प्रतिशत लोगों को किडनी की बीमारी हो जाती है और किडनी की बीमारी से ग्रस्त एक तिहाई लोग मधुमेह पीड़ित हो जाते हैं। इससे यह तय है कि इन दोनों का आपस में कोई ताल्लुक है। इसके अलावा लंबे समय से हाईपरटेंशन के शिकार लोगों को किडनी की बीमारी का खतरा 3-4 गुना बढ़ जाता है। गुर्दों की बीमारी के लिए दूषित खान-पान और दूषित वातावरण मुख्य माना जाता है। दूषित मांस, मछली, अंडा, फल और भोजन तथा पानी गुर्दे की बीमारी की वजह बन सकते हैं।

गुर्दे की बीमारी से कैसे बचा जाए? 
स्वच्छ खान-पान, शुद्ध वायु में सामान्य व्यायाम, तनाव से बचाव और पौष्टिक भोजन से आप ठीक रहेंगे। अगर आमदनी कम हो तो विलासिता की चीजों पर खर्चा न करें उसे बचाएं और उसे अच्छे खान-पान में लगाएं। पर्याप्त नींद लें। पानी अशुद्ध होने की आशंका हो तो ठीक से उबालकर पिएं। बाजारू तैयार खाद्य, पेय, पदार्थ व ढाबों इत्यादि में भोजन करने से बचें। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हर प्रकार के संक्रमण से बचें। 

 

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