कौन ले गया जूडिथ डिसूजा को ?

Monday, Jun 13, 2016 - 07:31 PM (IST)

यह चिंता की बात है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से अगवा की गई कोलकाता की जूडिथ डिसूजा का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। केंद्र सरकार ने उनके परिजनों को विश्वास दिलाया है कि जूडिथ को जल्द से जल्द छुड़वा लिया जाएगा। इस संबंध में जिस एनजीओ में वह काम करती थी उनके अधिकारियों से लगातार बातचीत की जा रही है। इस मामले में स्वयं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी सक्रिय हैं। अब तक किसी आतंकवादी संगठन ने जूडिथ डिसूजा का अपहरण करने की जिम्मेवारी नहीं ली है।

भारत की इस महिला के अपहरण के अलावा यदि पिछले एक साल का रिकार्ड देखा जाए तो अफगानिस्तान में हथियारबंद आतंकवादियों द्वारा यात्रियों को अगवा करने के कई मामले सामने आए हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसका साफ मतलब मानते हैं कि तालिबान ने अफगानियों को कुचलने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है। सशस्त्र आतंकवादियों ने 31 मई को उत्तरी कुंदुज शहर से तीन बसों को हथियारों के बल पर रुकवा कर करीब 200 यात्रियों अगवा कर लिया।  इसकी जिम्मेदारी तालिबान आतंकवादियों ने ली थी।  क्रूरता का प्रदर्शन करते हुए आतंकवादियों ने 10 निर्दोष लोगों को वहीं गोलियों से भून दिया। शेष को छोड़ दिया गया, जबकि आठ यात्रियों को वे अपने साथ ले गए।

यह मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि कुछ दिन बाद आतंकवादियों ने कुंदुज में ही एक और बस को रुकवा कर 47 यात्रियों को जबरन बस से उतार आतंकी उनमें से 10 को अपने साथ ले गए। और तो और कुछ दिन पहले सर-ए-पोल प्रांत में भी यात्रियों का अपहरण किया गया। पिछले मंगलवार को तालिबान आतंकवादियों ने इन बंधकों में से 12 गोलियों से भून दिया।

इसमें दो राय नहीं है कि तालिबान आतंकवादी यात्रियों को अगवा करके दहशत को फैला रहे हैं, ताकि सरकार को बदनाम करने की उनकी रणनीति कामयाब हो जाए। राजमार्गों पर तालिबान ने पूरी तरह नियंत्रण कर लिया है। वे जब चाहे किसी भी बस को रुकवा कर लोगों को सरेआम मौत के घाट उतार रहे हैं। जिसे चाहे अगवा कर लेते हैं। इन घटनाओं से यह जाहिर होता है​ कि अफगानिस्तान सरकार राजमार्गों की सुरक्षा करने असमर्थ हो गई है।

अफगान तालिबानी आतंकवादियों के विरद्ध कड़ी कार्रवाई नहीं कर पा रही है।   सरकार का खुफिया तंत्र सूचनाएं तो प्राप्त कर रहा है, लेकिन आतंकियों को निय़ंत्रित करने में कामयाब नहीं हो पा रहा है। हावी हो रहे इन आतंकियों को रोकना बहुत जरूरी है।  इससे इंकार नही किया जा सकता कि भारत से अफगानिस्तान की बढ़ती नजदीकियों को पचा पाना आतंकियों के लिए मुश्किल हो रहा है। वह नहीं चाहते कि अफगानिस्तान का विकास हो। यही कारण है कि उन्होंने दोनों देशों के सहयोग से बनाए जा रहे सलमा डैम को नुकसान पहुंचाने की प्रयास किया था।

यह कम चिंता की बात नहीं है कि वहां काम करने वाले भारतीयों का कितना जीवन जोखिम भरा है। आतंकियों के हमले व अपहरण की घटनाओं को देखते हुए भारत और अमरीका के दूतावासों ने चेतावनी जारी कर दी थी कि सुरक्षा के प्रबंधों में किसी प्रकार की ढील नहीं बरती जाए। भारत की गैर सरकारी संस्थाएं भी वहां की महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य व शिक्षा के लिए काम कर रही हैं। इन्हीें में से एक संस्था आगा खान फाउंडेशन में जूडिथ डिसूजा कार्यरत थीं। इस घटना से स्पष्ट होता है कि तालिबानी आतंकी नहीं चाहते कि महिलाओं और बच्चों का कल्याण हो, इसीलिए इन कार्यों को रोकने के लिए जूडिथ के अपहरण की साजिश रची गई।

भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान भी कभी नहीं चाहेगा कि अफगानिस्तान और भारत में दोस्ताना संबंध स्थापित हों। उेस लगता है कि अफगानिस्तान उसके विरंद्ध हो गया है। तालिबानी आतंकियों के साथ पाकिस्तान की मिलीभगत किसी से छिपी नहीं है। उनका इस्तेमाल वह इन दोनों मित्र देशों के खिलाफ कर रहा है। दूसरी और वह अमरीका को सलाह देता है कि अफगानिस्तान के तालिबानी आतंकियों पर ड्रोन हमले क्यों नहीं करता।

प्रतीक्षा की जा रही है कि अफगान सरकार जल्द से जल्द जूडिथ को सकुशल मुक्त करवाने में कामयाब हो जाए। एक बार आतंकी संगठन आईएसआईएस ने चार भारतीयों का अपहरण कर लिया था। जब उन्हें पता चला कि चारों शिक्षक हैं तो सम्मानपूर्वक उन्हें रिहा कर दिया गया। तालिबानी आतंकियों के वहां की अफगान सरकार के साथ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन विकास कार्यों से जुड़े लोगों का अपहरण करने से उन्हें क्या मिलेगा। जिनका कल्याण करने में एनजीओ जुटी हैं वे उन्हीं की देश की महिलाएं और बच्चे हैं।
 
 

 

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