महिलाओं को भी नाइट शिफ्ट करने का हक, वह केवल घर के काम ही क्यों करे: केरल HC

Saturday, Apr 17, 2021 - 02:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केरल की हाईकोर्ट ने नौकरीपेशा महिलाओं के हक के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि नाइट शिफ्ट का हवाला देकर महिलाओं को नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट  ने कहा कि किसी योग्य उम्मीदवार को सिर्फ इस आधार पर नियुक्त करने से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह एक महिला है और वह रात में काम नहीं कर सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि हमें आधी आबादी को हर क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा अवसर देना है।

 

परिस्थितियों का हवाला देकर  महिलाओं को निकालना गलत:  कोर्ट
दरअसल कोर्ट ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता ट्रेजा जोसफीन द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाइ करते हुई की। याचिकाकर्ता का आरोप है कि  केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड  सिर्फ पुरुष उम्मीदवारों को ही आवेदन करने की अनुमति देती है। उन्होंने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए कोर्ट से न्याय की अपील की। जस्टिस अनु शिवरामन की पीठ ने इस पर कहा कि हमें कार्यस्थल को बेहतर और समानता वाला बनाना है न कि परिस्थितियों का हवाला देकर महिलाओं को रोजगार के मौकों से वंचित करना है।

 

 महिलाओं का योगदान नजरअंदाज नहीं किया जा सकता: कोर्ट
कोर्ट ने कंपनी द्वारा जारी की कई अधिसूचना को पलटते हुए कहा कि इस तरह की अधिसूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। जबकि फैक्ट्रीज एक्ट 1948 के प्रावधान महिलाओं को कार्यस्थल पर शोषण से बचाने के लिए हैं। कोर्ट ने कहा कि दुनिया आगे बढ़ रही है। ऐसे में महिलाएं केवल घर के ही काम क्यों करे। पीठ ने कहा कि हम ऐसे मुकाम पर पहुंच चुके हैं, जहां आर्थिक विकास के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


महिलाओं हर कार्य में सक्षम: कोर्ट
पीठ ने आगे कहा कि महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा, उड्डयन और सूचना प्रौद्योगिकी सहित कई उद्योगों में सभी समय पर काम करने के लिए लगाया जा रहा है। इस तरह की चुनौतियों का सामना कर महिलाओं ने साबित किया है कि वे हर समय किसी भी तरह का कार्य करने में सक्षम हैं।
  

vasudha

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