केरल की त्रासदी इतनी भयावह न होती अगर सरकार ने मानी होती ये बात

Monday, Aug 20, 2018 - 01:12 PM (IST)

नई दिल्ली: केरल में 100 साल बाद ऐसी विनाशकारी बाढ़ आई है जिसने इस राज्य को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। लाखों लोग बेघर हो गए लगभग 350 लोगों की जान चली गई। पश्चिमी घाटों के संरक्षण पर ऐतिहासिक रिपोर्ट लिखने वाले लेखक ने कहा कि यदि राज्य सरकार और स्थानीय अधिकारियों ने पर्यावरण कानूनों का पालन किया होता तो इतनी बड़ी आपदा नहीं आती। 



2010 में पार्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा गठित पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल की अध्यक्षता करना वाले वैज्ञानिक माधव गाडगील ने कहा कि केरल में इस समस्या का कम से कम एक हिस्सा मानव निर्मित है। मीडिया से बातचीत करते हुए डॉ गडगील ने कहा कि मूसलधार बारिश की वजह से बारिश की स्थिति पैदा हुई है।  पिछले कई सालों से विकास प्रक्रिया की वजह से इस तरह की घटनाओं से निपटने की अपनी क्षमता से समझौता किया है। ये सब उसी का नतीजा है यदि सही कदम उठाए होते तो ये आपदा नहीं आती। 



2011 में गाडगील पैनल ने पारिस्थितिक रुप से कमजोर पश्चिमी घाट क्षेत्र के प्राकृतिक पार्यावरण संरक्षण के उपायों पर सुझाव दिया था। तब रिपोर्ट में प्रस्ताव दिया गया था कि केरल समेत छह राज्यों में फैले पूरे पश्चिमी घाटों को संवेदनशील घोषित कर देना चाहिए। इतनी ही नहीं कमेटी ने क्षेत्र में कुछ नई औद्योगिक और खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कहा था। स्थानीय समुदायों और ग्राम पंचायतों के परामर्श से कई अन्य विकास कार्यों के लिए कड़े कानून बनाने को कहा था। ये रिपोर्ट सभी छह राज्यों को दी गई थी। इसके बाद पर्यावरण मंत्रालय ने अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तुरिंरंगन की अध्यक्षता में एकऔर पैनल का गठन किया था। 



कस्तुरिरंगन कमेटी ने 2013 में अपनी रिपोर्ट दी। जिसमें यह बताया गया था कि पश्चिमी घाटों में से केवल एक तिहाई को पारिस्थितिक रुप से संवेदनशील माना जा सकता है। राज्य सरकारों के बाद लंबे विचार विमर्श के बाद पार्यावरण मंत्रालय ने पिछले साले पश्चिमी घाटों के लगभग 57,000 वर्ग किलोमीटर को पारिस्थितिक रुप से संवेदनशील क्षेत्र के रुप में चिन्हित किया था। गडगिल ने मीडिया से बात करते हुए अपनी रिपोर्ट में इशारा करते हुए कहा कि पश्चिमी घाट राज्यों में विशेष रुप से खड़ी घाटियों में कई जलाशयों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है। जंगलों की कटाई भी हो रही है। इसलिए कई क्षेत्रों में बाढ़ और सूखे की स्थिति बन रही हैं।   

Anil dev

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