Exclusive- केजरीवाल की प्रॉब्लम, उनकी ‘56 इंच’ की जीभ: मनोज तिवारी

Sunday, Apr 23, 2017 - 11:12 AM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटलः चुनाव की बिसात बिछ चुकी है और आज के दिन लोगों को अपने मताधिकार से यह बताना है कि दिल्ली में कौन-सी पार्टी सर्वश्रेष्ठ है। सभी पार्टी के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर आगे निकलने की होड़ में है, लेकिन राजधानी का वोटर जानता है कि उसे किसे चुनना हैं। मतदाताओं को यह पता है कि उसे भ्रष्टाचार को खत्म करने, शहर की गंदगी हटाने और विकास के नाम पर वोट देना है या फिर केवल चुनावी वायदों पर। एमसीडी चुनाव की कमान संभाल रहे भाजपा सांसद और दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी नेे नवोदय टाइम्स के कार्यालय में खास बातचीत की।

पेश हैं प्रमुख अंश:
पीएम मोदी जी के दम पर जीतेंगे चुनाव
मैं जानता हूं कि दिल्ली में पहले भाजपा का ग्राफ कम था, विशेषकर विधानसभा चुनाव में, लेकिन इन सालों में कई बदलाव देखने को मिले हैं। हर राज्य के लोग पार्टी और विशेषकर देश के नेतृत्व, जो पीएम मोदी जी कर रहे हैं, उनसे प्रभावित है। दिल्ली का चुनाव भी उनकी विचारधारा पर ही लड़ा जा रहा है। इसलिए निश्चित ही एमसीडी चुनाव में हम लोग जीत कर आ रहे हैं।

कुछ दिनों से ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ के प्रकरण सामने आ रहे हैं। विपक्षी पाटियों की मांग है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं, आप की क्या राय है?
असहमत नहीं हूं, जरूर कराएं। लेकिन, खास तौर पर ‘आप’ सरकार इस्तीफा दे और दोबारा चुनाव कराएं तो जरूर साथ दूंगा। रही बात ईवीएम मशीन की तो राजौरी गार्डन विधानसभा के उपचुनाव में ‘आप’ की हार के बाद केजरीवाल को मालूम हो गया है कि उनका सफाया होने वाला है। दिल्ली की जनता निगम चुनाव में उन्हें सजा देने के लिए तैयार है। इससे वह घबराए हुए हैं। यदि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी है तो केजरीवाल को सबसे पहले अपने सभी विधायकों का इस्तीफा दिलाकर विधानसभा चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग करनी चाहिए।

तीन साल बीतने के बाद भी झुग्गी झोपड़ी और निचले तबके के लोग ‘आप’ को पंसद करते है, जबकि केंद्रीय नेतृत्व सहित बीजेपी के लोग अक्सर निचले तबके की बात करते हैं, ऐसा क्यों है कि उनका रुख अब भी उसी तरफ बरकरार है?
मैं इस बात से इत्तफाक नहीं रखता। मोदी जी ने पहले दिन ही कहा था कि भाजपा और मेरा सपना गरीबों में बसता है। गरीब को अगर रोटी, कपड़ा और मकान मिल जाए तो मैं समझूंगा कि मैने देश के लिए काम किया है। इसी बात से भी प्रेरित हूं। आप पार्टी ने झुग्गी झोपड़ी, अनधिकृत कॉलोनी वासियों को ख्वाब दिखाए। ढाई साल से ज्यादा बीत गए, क्या उनके सपने पूरे हुए? क्या उन्हें मकान मिले? जब भी किसी संसाधन की मांग आप सरकार से जनता ने की तो उसे दिया नहीं गया। बस कहा गया कि केंद्र और मोदी जी नहीं करने दे रहे हैं। हमने कब उनका हाथ पकड़ा? सरकार आपकी है, लेकिन सरकार बनने का ये मतलब नहीं होता है आपको तुगलक बना दिया गया हो। हमारी भी केंद्र में सरकार है और बहुमत से है। ढाई साल में जीएसटी लागू नहीं कर पाए। आखिर क्यों? इसका सीधा कारण है कि हमारे पास राज्यसभा में बहृुमत नहीं था। अगर ‘आप’ सरकार व्यवस्था के तहत आती है तो केंद्र और एलजी उसे क्यों नहीं मानेंगे?

‘आप’ सरकार कह रही है भाजपा को वोट मत दीजिए, मोदी जी तो केंद्र में है और हम दिल्ली में हैं। एमसीडी में तो 10 साल से बीजेपी है और इन्होंने कुछ नहीं किया, क्या कहेंगे?
केजरीवाल कह रहे हैं कि एमसीडी में ‘आप’ आई तो इसकी कमान मैं खुद संभालूगा। आप पार्टी लोगों को धमका कर वोट मांग रही है। पंजाब चुनाव के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। ये कहते है कि अगर बीजेपी एमसीडी में आई तो ये पानी और बिजली के दाम बढ़ा देंगे, इन्हें वोट मत देना! ये क्या बात हुई? ये तो उस तरह का फरमान है कि कोई चंबल का डाकू कह रहा है कि अगर 50 हजार नहीं दिए तो मार दिया जाएगा। यह इतिहास में याद रखा जाएगा कि कोई मुख्यमंत्री अपने कार्यों की बदौलत वोट नहीं बल्कि धमकी देकर वोट मांग रहा है। आम आदमी पार्टी अपने कर्मों से और जनता से किए वायदों में ही घिर गई है। आज दिल्ली जिस दयनीय स्थिति में पहुंची है, उसके लिए ‘आप’ ही जिम्मेदार है। जनता को याद है कि उनकी सरकार में डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ा और महामारी फैली वैसी दिल्ली में कभी नहीं फैली थी। यही नहीं वह लाइन भी आपको याद दिला दूं जिसमें कहा गया था कि ‘दिल्ली बीमार और सरकार फरार’। इससे मैं ही नहीं बल्कि सभी इत्तफाक रखते है। क्योंकि, जब दिल्ली में महामारी फैली थी तो सीएम समेत अधिकतर मंत्री विदेशी दौरे या अन्य राज्यों में थे। क्या इन्हें उस समय ख्याल नहीं आया? रही बिजली और पानी के दामों को बढ़ाने की बात तो एमसीडी चुनाव में जीत जाने के बाद क्या भाजपा इनके रेट बढ़ा सकती है? यह जनता को सोचना है।

क्या वजह है कि एक बार फिर जनता आपको चुने?
देखिए किसी भी सरकार को चलाने के लिए नीयत, नेतृत्व और नीति की जरूरत होती है। ‘आप’ सरकार में इन तीनों की कमी हैं। सरकार की नीयत ठीक नहीं है। केवल दूसरे पर दोष लगाना, दूसरे को बेईमान बताना। दिल्ली की जनता समझदार है। ‘आप’ की नीयत में खोट है। उनकी खोट 16 हजार की थाली में भी दिखती है, नीयत की खोट 4 करोड़ वकील को फीस देने में दिखती है, नीयत की खोट सीसीटीवी न लगाने, महिलाओं को सुरक्षा न दे पाने, वाईफाई न दे पाने, नए स्कूल न खोलने में भी है। ये सब वादे जनता से किए गए थे लेकिन पूरे नहीं हुए। आप सरकार का आरोप है कि दिल्ली में एमसीडी 10 साल से है, इस बार बदलाव के लिए वोट डालिए। हम भले ही 10 साल से एमसीडी में है, यह भी लोगों के विश्वास से ही है। तीन साल में दिल्ली की जनता जान चुकी है कि हमने ‘आप’ को वोट देकर अपने शहर का क्या हश्र कर दिया। पूर्व में भी सरकारें रहीं लेकिन कभी भी फंड की कमी नहीं दिखी। किसी की पेंशन नहीं रुकी, लेकिन इन्होंने ये काम जरूर किया कि कर्मचारियों को वेतन के तरसाया। दिल्ली एमसीडी का फंड केंद्र सरकार पहले दिल्ली सरकार को देती है। ये फंड 9 हजार करोड़ रुपए का है, लेकिन इस बार ‘आप’ सरकार ने भेजे गए केंद्र के पैसे में से महज 2800 करोड़ रुपए ही एमसीडी के लिए जारी किए। क्यों? 6200 करोड़ रुपए जो सरकार ने रोके उसके बाद भी एमसीडी काम करती है तो ये काबिले तारीफ है?

एमसीडी में मौजूदा सरकार पर आरोप है कि कॉलोनी में बनने वाले हर मकान के लिए पार्षद, अधिकारी पैसा लेते हैं। शहर में गंदगी की भरमार है?
दिल्ली में 100 से पार्षद कांग्रेस के हैं, 5 आप के 6 माह से, तो क्या कभी ये लोग किसी रिश्वत संबंधी मामले को लेकर किसी थाने तक पहुंचे, या इन्होंने कभी भी इसकी शिकायत सीधे तौर पर की। कभी नहीं, बस आरोप ही लगाए हैं। मैं दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कहता हूं कि किसी भी भ्रष्टाचार की शुरूआत ऊपर से होती है। हम न जेई को बचाना चाहते है, न पार्षद को और न ही पुलिस या एसडीएम को। ये सब जानते है कि किसी भी अवैध कॉलोनी की नींव एसडीएम और पुलिस की अनुमति के बिना नहीं पड़ती। बिजली और पानी सरकार की मर्जी के बगैर इन्हें नहीं मिलते। तो भ्रष्टाचार कहां से शुरू हुआ?

आपकी पार्टी में लवली, मलिक सहित कई कांग्रेसी नेता शामिल हो रहे हैं। आप इन्हें तोड़ रहे हैं या लोग किस विचारधारा आपका क्या प्लान है?
हम स्वच्छ राजनीति करते हैं। लवली, मलिक और बरखा शुक्ला तीनों ही पुराने नेता है और कई सालों से कांग्रेस से जुड़े थे। अब इन तीनों को ही नहीं देश के लोगों को नरेन्द्र मोदी की नीति अच्छी लग रही है इसलिए वे पार्टी में आ रहे हैं और जो भी व्यक्ति मोदी जी विचारधारा को अपना मानता है और समझता है उसके लिए पार्टी में स्वागत है।

विपक्षियों का आरोप है कि केजरीवाल सरकार जितनी तेजी से उठी थी, उतनी तेजी से काम जनता की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। आप क्या कहेंगे?
असल में इसका कारण केजरीवाल की 56 इंच की जीभ है। पीएम नरेन्द्र मोदी के पास 56 इंच का सीना है। उसका दम दिख रहा है तो केजरीवाल सोचते हैं कि कंपटीशन तो होना चाहिए। तो उन्होंने सोचा चलो कुछ नहीं सही तो 56 इंच की जीभ बना लेते हैं। तो उनकी सारी प्रॉब्लम उनकी 56 इंच की जीभ है। वह हर काम जीभ से करना चाहते हैं। कल्याणकारी योजनाएं जो भी हों वह बस जीभ से ही करते हैं। यही नहीं उनकी पार्टी के सभी नेताओं का यही हाल है। केजरीवाल कुछ भी बोलते हैं बिना आधार के। संविधान है, उसका पालन करना पड़ेगा। जीएसटी को लाने में पीएम मोदी को ढाई साल लग गए। क्योंकि संवैधानिक प्रक्रिया है उसका पालन करना पड़ता है। राज्यसभा में हमारा बहुमत नहीं था, तो हम जीएसटी जल्दी नहीं ला सके। संविधान का सम्मान करते हुए काम करना होता है, केवल जबान से कह देना और उसे पूरा करने के लिए प्लान न देना। यही केजरीवाल की समस्या है।

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