केजरीवाल सरकार का HC में जवाब, शराब की खरीद-ब्रिकी नहीं है मौलिक अधिकार

Thursday, May 28, 2020 - 01:14 PM (IST)

नई दिल्ली/डेस्क। कोरोना लॉकडाउन (Corona Lockdown) के दौरान दिल्ली में शराब (Liquor) के दामों में बढ़ोतरी को लेकर दायर याचिका पर केजरीवाल सरकार (Kejriwal Govt) ने अपना जवाब दिया है। सरकार की ओर से उनके वकील ने कोर्ट में कहा कि शराब की खरीद-बिक्री कोई मौलिक अधिकार नहीं है। राज्य उत्पाद शुल्क विभाग इसकी बिक्री को नियंत्रित कर सकता है। शराब सेहत के लिए हानिकारक है। 

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में दायर याचिका में कहा गया था कि कोरोना लॉकडाउन के कारण लोगों के पास पहले से ही पैसे की कमी है। ऐसे में सरकार द्वारा शराब के दामों में 70 प्रतिशत की अचानक से बढ़ोतरी कर देना जायज नहीं है। शराब पर पहले से ही कई प्रकार के टैक्स लगाए जाते हैं, ऐसे में राज्य सरकार की ओर से अलग से 70 फीसदी का शुल्क लगाया जाना पूरी तरह से गलत है। 


शराब के दाम बढ़ा कर राजस्व घाटे की भरपाई
बता दें कि कोरोना लॉकडाउन के कारण दिल्ली सरकार को बड़ा राजस्व घाटा हुआ है। इसकी पूर्ती करने के लिए केजरीवाल सरकार ने शराब के दामों पर 70 फीसदी कोरोना फीस लगा दी है। तीसरे लॉकडाउन की शुरुआत में यानी 2 मई के बाद दिल्ली में जैसे ही शराब की बिक्री शुरू हुई तो दुकानों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। पहले ही दिन दिल्ली में भीड़ के कारण दुकानों को बंद करना पड़ा। उसके अगले ही दिन दिल्ली सरकार ने ऐलान किया कि वो शराब के दामों पर 70 प्रतिशत कोरोना फीस लगा रहे हैं। 

 

पिछले सप्ताह 66 निजी शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति
दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग ने बीते सप्ताह दिल्ली की 66 निजी शराब की दुकानों को लॉकडाउन में खोलने की अनुमति दे दी। सरकार ने कहा कि दुकानों को ऑड-ईवन नियम के तहत खोला जाएगा। साथ ही सुबह 9 बजे से लेकर शाम के 6:30 बजे तक ही दुकान खोलने की अनुमति होगी। हालांकि जो शराब की दुकानें मॉल मे हैं, वे अभी बंद रहेंगी। दिल्ली में 864 शराब की दुकानें हैं, जिनमें से 475 सरकारी हैं। वहीं 389 निजी दुकानें हैं, इनमें से 150 मॉल में स्थित हैं और उन्हें 31 मई तक खोले जाने की अनुमति नहीं है।

Murari Sharan

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