कठुआ मामला: संदेह का लाभ देते हुए विशाल को बरी किए जाने का मुख्य जांचकर्ता को है खेद

punjabkesari.in Tuesday, Jun 11, 2019 - 03:55 PM (IST)

जम्मू: कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची के सामूहिक बलात्कार एवं हत्या की घटना के अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्य जांचकर्ता आर के जल्ला का कहना है कि इस मामले में अपराधियों की संलिप्तता का पता लगाना भूसे के ढेर में सुई खोजने के बराबर था लेकिन जनवरी की ठिठुरती ठंड में सांजी राम के चेहरे पर आए पसीने से उन्हें संदेह हो गया था कि दाल में कुछ काला है। पठानकोट में सत्र अदालत ने सांजी राम और दो अन्य लोगों को बच्ची के सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के मामले में सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। यह मामला 27 जनवरी 2018 को अपराध शाखा को सौंपा गया था। जल्ला को मामले की जांच सौंपी गई थी। जम्मू-कश्मीर के सबसे कुशल पुलिस अधिकारियों में शामिल जल्ला ने बताया कि उनकी टीम को मामले को सुलझाते समय किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 

60 वर्षीय जल्ला ने कहा, घटनास्थल का मुआयना करने के बाद हम (मामले के मुख्य आरोपी) सांजी राम से मिलने गए। मैंने और मेरी टीम ने उससे उसके परिवार के बारे में पूछताछ शुरू की। हमने उससे उसके गिरफ्तार नाबालिग रिश्तेदार के बारे में पूछा। जल्ला ने कहा, हमने जैसे ही उसके बेटे विशाल के बारे में पूछा, सांजी राम ने तपाक से कहा कि उसका बेटा मेरठ में पढ़ता है और मैं उसके कॉल डेटा रिकॉर्ड की जांच कर सकता हूं। मेरे दिमाग में उस समय दो बातें आईं कि वह इस बात पर जोर क्यों दे रहा है कि मैं विशाल के कॉल रिकॉर्ड की जांच करूं और दूसरा, जनवरी की ठिठुरती ठंड में भी उसे पसीना क्यों आ रहा है। सत्र अदालत ने सांजी राम, दीपक खजुरिया और परवेश कुमार को आजीवन कारावास और तीन बर्खास्त पुलिसकमिर्यों आनंद दत्ता, तिलक राज और सुरिंदर सिंह को पांच-पांच साल जेल की सजा सुनाई है। 

सांजी राम के बेटे विशाल को अदालत ने बरी कर दिया है। जल्ला को इस बात का दुख है कि संदेह के आधार पर विशाल को रिहा कर दिया गया । उन्होंने कहा, च्च्मैं केवल यह उम्मीद कर सकता हूं कि विशाल को बरी किए जाने को चुनौती देने के लिए याचिका दायर की जाएगी।'' जल्ला ने कहा कि सांजी राम ने अपने बेटे को बचाने की हरसंभव कोशिश की। महानिरीक्षक (अपराध) अहफादुल मुजतबा ने सोमवार को कहा था कि वे विशाल को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर करेंगे। इस मामले ने उस समय राजनीतिक रंग ले लिया था जब सांजी राम और अन्य की रिहाई की मांग के लिए पिछले साल मार्च में हुए विरोध प्रदर्शन में भाजपा के कम से कम दो पूर्व नेताओं लाल सिंह और गंगा सिंह ने भाग लिया था। 

इस मामले के कारण पीडीपी और भाजपा गठबंधन सरकार के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे लेकिन जल्ला ने कहा कि मामले के जांचकर्ता के तौर पर उन्हें किसी भी भाजपा नेता ने एक भी बार फोन नहीं किया। उन्होंने कहा, मुझ पर या मेरी टीम पर किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं था और हमने पूरी प्रतिबद्धता एवं ईमानदारी से अपना काम किया। इस साल 31 मार्च को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (अपराध शाखा) के तौर पर सेवानिवृत्त हुए जल्ला की भूमिका की प्रशंसा मामले के अभियोजन पक्ष की टीम ने भी की। उसने कहा कि जल्ला ने मामले के लिए मजबूत आधार तैयार किया, जिसके कारण बचाव पक्ष के गवाह एवं सबूत कमजोर पड़ गए। जल्ला ने इसका श्रेय अपनी पूरी टीम को दिया। 


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Anil dev

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