कश्मीर पर फिर एक बार बातचीत का मन बना रही है माेदी सरकार

Sunday, Jun 25, 2017 - 02:22 PM (IST)

नई दिल्लीः कश्मीर में लंबे समय से स्थिति को सामान्य बनाने के लिए जूझ रही केंद्र सरकार एक बार फिर बातचीत के विकल्प को अपनाने की योजना बना रही है। पिछले साल कुख्यात आतंकवादी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड में मारे जाने के बाद से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शनों और हिंसा की घटनाओं का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। सूत्रों के अनुसार सरकार कश्मीरियों तक पहुंचने के लिए एक बार फिर ठोस योजना बना रही है हालांकि अभी यह तय नहीं किया गया है कि इस सिलसिले में किस किस से बातचीत की जाएगी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री गंगाराम अहीर अगले सप्ताह पवित्र अमरनाथ यात्रा के सिलसिले में श्रीनगर जा रहे हैं और इस दौरान सरकार की ओर से इस पहल की भूमिका रखी जा सकती है। सरकार कश्मीर पर विकास और बातचीत दोनों स्तर पर एक साथ आगे बढने के अपने सिद्धांत का ही अनुसरण करना चाहती है और उसका कहना है कि वह कश्मीरियों को यह बताना चाहती है कि वह स्थिति को सामान्य बनाने के लिए गंभीर है और इस योजना पर काम कर रही है। 

'स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा'
गृह सचिव राजीव महर्षि भी पिछले महीने ही जम्मू कश्मीर गए थे और उन्होंने राज्य प्रशासन के साथ विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की थी तथा राज्य में स्थिति की समीक्षा की थी। सरकार पहले भी कहती रही है कि वह कश्मीर के बारे में हर स्तर पर बात करने को तैयार है। पिछले वर्ष खुद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 2 बार घाटी की यात्रा की और संबंधित पक्षों के साथ विस्तार से विचार विमर्श किया। इसके बाद संसद का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी घाटी के दौरे पर गया था लेकिन उस समय सरकार ने हुर्रियत नेताओं के साथ बातचीत नहीं की थी। एक टेलीविजन चैनल द्वारा अलगावादी हुर्रियत नेताओं के स्टिंग ऑपरेशन में इस बात का खुलासा होने से कि उन्हें घाटी में पत्थरबाजी और तोड फोड की घटनाओं में भूमिका के लिए सीमा पार से और विशेष रूप से आतंकवादी संगठनों से भारी रकम मिलती है स्थिति इस बार ज्यादा जटिल हो गई है। कई हुर्रियत नेता इस सिलसिले में राष्ट्रीय जांच एजेन्सी की जांच के घेरे में हैं और उन पर शिकंजा कसता जा रहा है। इस परिस्थिति में उनके साथ अब भी बातचीत की संभावना नहीं है। 

'हिंसा की घटनाओं में अाई तेजी' 
कुछ माह पूर्व श्रीनगर लोकसभा उप चुनाव के दौरान हिंसा की घटनाओं में तेजी आ गई थी। इसी दौरान सुरक्षा बलों पर पथराव की घटनाएं भी बढ गई थी। मतदान पेटियां ले जा रहे सुरक्षाकर्मियों के साथ स्थानीय लोगों के दुर्व्यवहार और उन पर पथराव के मद्देनजर सेना द्वारा एक कथित पत्थरबाज को जीप के आगे मानव ढाल के रूप में बांधने की घटना ने भी तूल पकडा और अलगाववादियों ने इस पर भी लोगों को उकसाया। इसी सप्ताह श्रीनगर में एक मस्जिद के बारह ड्यूटी कर रहे पुलिस उपाधीक्षक मोहम्मद अयूब पंडित की भीड द्वारा पीट पीट कर हत्या किए जाने से भी राज्य में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति ज्यादा विकट हो गई है। इससे राज्य सरकार को भी कट्टरपंथियों के खिलाफ अपने रूख में सख्ती लानी पडी है। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि पुलिस बेहद संयम से काम कर रही है और उसके सब्र का इम्तिहान नहीं लिया जाना चाहिए।   

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