पेलेट गन से आंखों की रोशनी गंवाने के बाद भी इस कश्‍मीरी लड़की ने नहीं हारी हिम्‍मत

Thursday, Jan 11, 2018 - 12:06 PM (IST)

नई दिल्ली: कल्पना कीजिए की आपके आस-पास सिर्फ हिंसा और आतंक का तिमिर हो और उसमें में सिर्फ शांति की एक टिमटिमाती दुधिया सी रोशनी हो तो आप किस ओर का रास्ता चुनेंगे? हिंसा का या हिम्मत हारने का? रुकिए इन दो विकल्पों के अलावा एक विकल्प और भी है लड़ने का ? और इसी विकल्प को चुन कर इंशा ने दुनिया को बताया कि हिम्मत हारने से बेहतर है कि लड़कर अपना जहां मुकम्मल की जाए।

2016 का साल था सेना कश्मीर में बुरहान वानी के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी। घर की खिड़की से झांकती एक लड़की की आंखों को पैलेट गन से निकले छर्रे ने हमेशा-हमेशा के लिए अंधा कर दिया लेकिन इस लड़की ने हिम्मत नहीं हारी, लगातार अपनी मेहनत के बल बुते उसने सफलता को अपने कदमों तले झुका लिया।मंगलवार (09 जनवरी) को आए नतीजों के बाद 17 साल की इंशा मुश्ताक के चेहरे पर मुस्कान छा गई।आंखों की रोशनी गवां चुकी इस लड़की ने हाईस्कूल पास कर नई इबारत लिख दी।

इंशा ने शोपियां के प्राइवेट स्कूल मोहम्मदिया इन्स्टीट्यूशन में नवंबर 2017 में बोर्ड परीक्षा दी थी। उसने बताया कि परीक्षा के दौरान उसने बाहरी सहायक लेखक के तौर पर अपनी दोस्त निना का सहयोग लिया था। इसके अलावा उसे आधा घंटा अधिक समय भी दिया गया था। इंशा ने परीक्षा की तैयारियों के बारे में बताया, “हर दिन मेरे घर तीन ट्यूटर आते थे।वे मुझे टेक्स्ट बुक पढ़कर सुनाते थे। मैं उसे अगले दिन दोहराती थी।”

इंशा बताती हैं कि चूंकि वह गणित विषय में ऐसा नहीं कर सकती थी इसलिए गणित की जगह संगीत विषय का चुनाव किया। उन्होंने कहा, “मैं अभी भी ब्राइल लिपि सीख रही हूं।”इंशा ने पांच विषयों में 6 से 8 जीपीए के बीच ग्रेड हासिल किए हैं।

इंशा के इस सफलता के बाद उनकों बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर इंशा को बधाई दी है और लिखा है कि साल 2016 में सुरक्षाबलों के पेलेट गन का शिकार होने और आंखों की रोशनी गंवाने के बावजूद इंशा ने न केवल हिम्मत का परिचय दिया है बल्कि 10वीं की बोर्ड इम्तिहान पास कर मिसाल पेश की है। अब्दुल्ला ने लिखा है, “अल्लाह तुम्हें तुमारे कठोर परिश्रम और साहस का उचित इनाम दें।”

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