कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने लिया हुबली दंगे का केस, भड़की BJP ने लगाया मुस्लिम अपीजमेंट का आरोप
punjabkesari.in Friday, Oct 11, 2024 - 05:01 PM (IST)
बेंगलुरुः कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने हुब्बली में 16 अप्रैल 2022 को पुलिसकर्मियों पर पत्थरों से हमला करने वाली भीड़ के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मुकदमे को वापस लेने का फैसला किया। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि यह उन 43 मुकदमों में से एक है, जिन्हें राज्य मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को अपनी बैठक में वापस लेने का फैसला किया। अंजुमन-ए-इस्लाम ने गृह मंत्री जी. परमेश्वर को एक अर्जी दी थी, जिसके बाद मुकदमा वापस लेने का फैसला किया गया। पुलिस के अनुसार, एक आरोपी ने सोशल मीडिया पर कथित रूप से एक अपमानजनक सामग्री पोस्ट किया था।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “पोस्ट से नाराज अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग 150 लोग 16 अप्रैल, 2022 की रात करीब साढ़े 10 बजे पत्थरों और डंडों से लैस होकर उत्तरी कर्नाटक के ओल्ड हुब्बली टाउन थाने के पास जमा हो गये।” उन्होंने बताया, “वे (भीड़) पुलिस से आरोपी को उनके हवाले करने की मांग कर रहे थे ताकि वे उसे वहीं खत्म कर सकें। भीड़ में शामिल लोगों ने यह भी चेतावनी दी कि जो भी आरोपी की रक्षा करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। भीड़ में शामिल लोगों ने आरोपी की रक्षा करने वाले पुलिसकर्मियों को कथित तौर पर मारने के नारे लगाए।”
सूत्रों ने बताया कि पुलिस निरीक्षक ने उन्हें (भीड़ में शामिल लोगों को) अपना ‘अड़ियल रुख' छोड़ने और वहां से जाने के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन वे थाने में घुसना चाहते थे। इसके बाद भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर डंडों और पत्थरों से हमला कर दिया और ड्यूटी पर मौजूद कई पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया। इतना ही नहीं गुस्साई भीड़ ने वहां कई सरकारी और निजी वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया।
अधिकारी ने बताया, “इसके बाद ओल्ड हुब्बली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ दंगा, हत्या का प्रयास, सरकारी अधिकारियों पर हमला, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था।”
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सरकार के फैसले को ‘तुष्टीकरण की पराकाष्ठा' करार दिया। जोशी ने कहा, “दुर्भाग्य से कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी तुष्टीकरण की पराकाष्ठा पर पहुंच गई है। उन्होंने यूएपीए मामले के तहत दर्ज मुकदमे को वापस ले लिया जबकि मामला एनआईए की अदालत में है। जहां तक मुझे पता है सामान्य तौर पर राज्य सरकार इसे वापस नहीं ले सकती लेकिन फिर भी उन्होंने इसे वापस ले लिया। यह तुष्टीकरण की पराकाष्ठा है।”