क्या गठबंधन की 'संजीवनी' से पुनर्जीवित होगी कांग्रेस ?

Monday, May 21, 2018 - 05:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): कर्नाटक में गठबंधन बनाने के बाद क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समझौता एक्सप्रेस से अपना सियासी सफर आगे भी जारी रखेंगे? क्या कांग्रेस अब छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी गठबंधन की संभावनाएं तलाशेगी..? क्या कांग्रेस की वापसी गठबंधन की बैसाखी से होगी..? यह तमाम सवाल उठने शुरू हो गए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ , राजस्थान और एमपी चुनाव को लेकर अभी से संजीदा हो गए हैं। 

राहुल ने कर लिया था छत्तीसगढ़ की तरफ रुख
कर्नाटक में प्रचार समाप्त करने के तीन दिन बाद ही राहुल ने छत्तीसगढ़ का रुख कर लिया था। उन्होंने वहां रैली को सम्बोधित करते हुए जल, जंगल और जमीन के तमाम हक आदिवासियों को दिए का मसला भी प्रमुखता से उठाया। इसी को लेकर वहां रमन सिंह के खिलाफ पत्थरगढ़ी अभियान चला हुआ है। जाहिर है राहुल का अगला निशाना अब यही राज्य हैं जहां पिछली बार मामूली अंत से रमन सिंह दोबारा  सत्ता पर काबिज होने में कामयाब हो गए थे।  उधर मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी इसी के साथ चुनाव होने हैं। राजस्थान में कांग्रेस अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में है। अशोक गहलोत खासे सक्रिय हैं और उपचुनाव में वसुंधरा को अपनी ताकत का एहसास करा चुके  हैं। हालांकि एमपी में भी कांग्रेस ने उपचुनाव जीता है तथापि वहां उसे साथी की जरूरत पड़  सकती है। ऐसे में बहुत हद तक संभव है कि कांग्रेस वहां चुनावपूर्व गठबंधन कर सकती है। किसके साथ यह एक बड़ा प्रश्न हो सकता है। 

समाजवादी पार्टी हो सकती है मुफीद साथी साबित
बात अगर मध्य प्रदेश की करें तो वहां समाजवादी पार्टी उसके लिए मुफीद साथी साबित हो सकती है। 2003 में एसपी ने एमपी में सात सीटें जीत कुल छह फीसदी वोट हासिल किए थे। पर उसके बाद मध्य प्रदेश का रुख नहीं किया। अबके अखिलेश यादव मध्य प्रदेश को लेकर सक्रिय हैं।  उन्होंने 200 से अधिक सीटों पर चुनाव लडऩे का फैसला किया है। जाहिर है यह चीजों की सेटिंग का दांव है। अब चूंकि सपा और कांग्रेस यू पी में  साथ मिलकर लड़ चुके हैं लिहाजा यह दोस्ती संभव दिखती है। कोई बड़ी बात नहीं की बबुआ के साथ बुआ यानी मायावती भी आ जाएं। 

Anil dev

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