कर्नाटक विधानसभा चुनाव: सिद्धारमैया ने बदली अपनी सीट, BJP वोटबैंक में सेंध लगाने की तैयारी

Friday, Mar 30, 2018 - 04:17 PM (IST)

नेशनल डेस्क (आशीष पाण्डेय): कर्नाटक में 12 मई को निर्धारित चुनाव सीधे सीधे सिद्धारमैया बनाम पीएम नरेंद्र मोदी हो गया है। सिद्धारमैया अपनी घोषणाओं से बीजेपी को लगातार हैरत में डालने का काम कर रहे हैं, यही काम उन्होंने एक बार फिर किया है। सिद्धारमैया ने अपनी विधानसभा सीट बदलने का फैसला किया है और अब वह मैसूर में वरुणा के बजाय पास के चामुंडेश्वरी से चुनावी मैदान में उतरेंगे। इसी सीट पर 2006 के उपचुनाव में महज 257 वोटों के अंतर से पहली बार कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीते थे। वहीं बीजेपी व जनता दल (एस) ने भी सिद्धारमैया को हराने के लिए कमर कस लिया है। उन्होंने खुद कहा है कि यह उनका आखिरी चुनाव है।  

इस सीट पर लड़ेगे दिग्गज 
एक तरफ सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी सीट पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। वहीं राजनीति में कदम रख रहे सिद्धारमैया के बेटे यतीन्द्र वरुणा से कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं। वरूणा से ही सिद्धारमैया लड़ते आ रहे हैं। वहीं माना जा रहा है बीजेपी भी सीएम के दूसरे चेहरे येदियुरप्पा के बेटे विजेंद्र को भी इसी सीट पर उतारने की तैयारी कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 'सन स्ट्रोक' सभी पार्टियों पर असर डालेगा। हालांकि येदियुरप्पा अपने बेटे को पहले ही चुनाव में उस सीट पर उतारना चाहेंगे जहां कांग्रेस मजबूत है। हो सकता है यह सिर्फ अफवाह हो और इसका असर देखने के लिए रची गई कहानी है। अभी ऐसी और बातें आएंगी, जैसे यह भी कहा जा रहा है कि सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी से लड़ने को लेकर दुविधा में हैं।'

बीजेपी के वोट शेयर में सेंध 
राजनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो वरूणा व चामुंडेश्वरी सीट की पृष्ठभूमि से स्पष्ट है कि इनके परिणाम पूरे राज्य में होने वाली जीत-हार का आईना होंगे। वरुणा सीट में ही सुत्तूर मठ भी है जो लिंगायत समुदाय का प्रमुख मठ है, इस समुदाय से येदियुरप्पा भी आते हैं। इसके अलावा सिद्धारमैया ने वैदिक कर्मकांड करने वाले वीरशैव के अलावा बाकी समुदायों को भी अल्पसंख्यकों का दर्जा देने के संकेत देकर बीजेपी के मजबूत वोट बेस में भी सेंध लगाई है। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि इस कदम का असर कैसा पड़ने वाला है और बीजेपी या कांग्रेस में से किसे इसका लाभ मिलेगा। विश्लेषकों का मानना है कि वीरशैव समुदाय के लोग अब भी संशय में हैं लेकिन उनकी संख्या कम है। इनके अलावा बाकी समुदाय अच्छी-खासी संख्या में हैं लेकिन स्पष्ट नहीं है कि वे किसे वोट करेंगे। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तो पहले ही सिद्धारमैया को विभाजन करने वाला नेता कह चुके हैं। परिणाम कैसे भी हों लेकिन यह तो स्पष्ट है कि सिद्धारमैया ने जो राजनीतिक समीकरण तैयार किए हैं, वह बीजेपी के लिए इस चुनाव को कहीं ज्यादा मुश्किल बनाने वाले हैं। 

ASHISH KUMAR

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