कर्नाटक चुनाव: नतीजे तय करेंगे बसपा-कांग्रेस के गठबंधन की अगली राह

Tuesday, Apr 17, 2018 - 11:12 AM (IST)

नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा के लिए चुनाव परवान चढऩे में कुछ सप्ताह ही शेष हैं लेकिन चुनावी नतीजों का सबको इंतजार है। खासकर उन राजनीतिक दलों को, जिनमें आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में गठबंधन होने की सम्भावना है। इस क्रम में बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन यह सम्भावना सतह पर तब आएगी जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आ जाएंगे। हालांकि आगामी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन के सिलसिले में आकलन का दौर चल रहा है। इन विधानसभा चुनावों में नफे के आकलन के बीच नुक्सान को रोकने की बड़ी कवायद हो रही है ताकि जीत को सुनिश्चित किया जा सके। इस सिलसिले में बसपा के साथ कांग्रेस का गठजोड़ राजनीतिक मजबूरी होगी। 

गठबंधन के लिए बसपा ने की थी कुछ सीटों की मांग
 दरअसल चुनाव में कांटे की टक्कर के बीच एक-एक वोट की बड़ी अहमियत होती है। कुछ सैंकड़ा वोट चुनावी पांसा पलट देते हैं। तब सारे समीकरण धरे रह जाते हैं और फिर गठबंधन न हो पाने की गलती सालती रहती है। इन दोनों ही तथ्यों को गुजरात चुनावों में आंका जा चुका है। बताया जाता है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन के लिए बसपा और एन.सी.पी. ने कुछ सीटों की मांग रखी थी लेकिन कांग्रेस ने नहीं मानी और गठबंधन नहीं हो सका। लिहाजा जब चुनाव परिणाम आए तो कांटे की टक्कर में कुछ वोटों की अहमियत समझ में आई। फिर यह कहा जाने लगा कि अगर बसपा के वोट कांग्रेस को मिल जाते तो गुजरात में राजनीतिक तस्वीर कुछ और होती। इसी तरह उत्तर प्रदेश में लोकसभा के 2 सीटों के लिए हुए उपचुनाव के लिए सपा-बसपा ने गठजोड़ कर राजनीतिक दलों को चौंका दिया। इसके बाद ही आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तीसरा मोर्चा बनाने की बात चल निकली। इसकी कवायद भी चल रही है लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए पहले गठज़ोड़ जरूरी है। फिलहाल बसपा कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जे.डी.एस. के साथ गठजोड़ कर चुनाव लड़ रही है। जे.डी.एस. 204 सीटों पर और बसपा 20 सीटों पर चुनाव मैदान में है।

बसपा को मिल सकती है कुछ सीटें 
हालांकि यहां कांग्रेस सत्ता में है और उसको टक्कर देने के लिए भाजपा तथा जे.डी.एस.-बसपा सामने हैं। 40 सीटों पर जे.डी.एस. काबिज है और बसपा अपने परम्परागत वोटों पर दाव लगाए हुए है। कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों में से 36 सीटें अनुसूचित जाति व 15 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। बसपा यहां अपने परम्परागत वोट को हासिल करने के  लिए चुनाव मैदान में है। हालांकि बीते विधानसभा चुनाव में बसपा को यहां केवल 1.16 प्रतिशत वोट ही मिले थे लेकिन इस बार बसपा को गठजोड़ का फायदा मिलने की सम्भावनाएं हैं। इससे वोट प्रतिशत बढऩे से बसपा को कुछ सीटें भी मिल सकती हैं और बसपा के परम्परागत वोट से जे.डी.एस. की भी सीटें बढ़ सकती हैं। बशर्ते कर्नाटक के चुनाव के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा में बसपा के साथ कांग्रेस के गठबंधन की बात चल सकती है। 

मध्य प्रदेश में बसपा को मिले थे 6.42 प्रतिशत वोट
बसपा का मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वजूद है। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के साथ मिलकर बसपा कांटे के मुकाबले को धारदार बना सकती है। बसपा को बीते विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश में 4 सीटें और 6.42 प्रतिशत वोट मिले थे। इसी तरह से बसपा को राजस्थान में 3 सीटें और 3.48 प्रतिशत वोट और छत्तीसगढ़ में एक सीट और 4.29 प्रतिशत वोट मिले थे। क्रमश: इन्हीं तीनों विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मध्य प्रदेश में 58 सीटें और 36.79 प्रतिशत वोट, राजस्थान में 21 सीटें और 33.31 प्रतिशत वोट तथा छत्तीसगढ़ में 39 सीटें और 40.43 प्रतिशत वोट मिले थे। इस लिहाज से इन दोनों दलों का गठजोड़ इन तीनों राज्यों के विधानसभा चुनावों  में सत्तारूढ़ दल को मुकाबला देने का माकूल होगा। अगर इन दोनों दलों में गठजोड़ नहीं हुआ तो फायदा कम नुक्सान ज्यादा होगा। लिहाजा दोनों दलों की निगाहें कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर हैं ताकि आगे की राह तय हो सके। 

Anil dev

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