कारगिल युद्ध: इन जांबाज पायलटों ने तोड़ डाली थी PAK की कमर, टाइगर हिल पर लहराया था तिरंगा

Thursday, Jul 21, 2016 - 10:08 AM (IST)

नई दिल्ली: 17 साल पहले भारतीय वायुसेना के एक दल ने हवाई युद्ध के इतिहास में साहस और जीत की नई इबारत लिखी थी। करगिल युद्ध के दौरान उस समूह ने समुद्र तल से 17,400 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित पाकिस्तानी चौकी को लेजर नियंत्रित बमों के जरिये ध्वस्त कर दिया था। टाइगर हिल पर पाकिस्तान द्वारा बनाई यह चौकी सामरिक रूप से काफी अहम थी क्योंकि इससे पाकिस्तानी सेना श्रीनगर और लेह को जोड़ने वाली नैशनल हाइवे 1ए और द्रास शहर को सीधा निशाना बना सकते थे। ये सारे पायलट तब काफी युवा थे, इनमें से स्क्वाड्रन लीडर्स के अलावा शामिल कुछ फ्लाइट लेफ्टिनेंट्स की उम्र तो महज 20 के आसपास थी।


PAK से सीधी टक्कर को बेताब थे भारतीय वायु सेना
ये दल इस बात से निराश था कि इन्हें कभी पाकिस्तान के साथ सीधी टक्कर लेने का मौका नहीं मिला। उस समय के फ्लाइट लेफ्टिनेंट रहे श्रीपद टोकेकर ने बताया कि वे तब पंजाब स्थित आदमपुर एयरबेस पर तैनात थे। वह कहते हैं, ''हम जानते थे कि पाकिस्तानी वायु सेना वहीं आसपास हैं, क्योंकि हमारे विमानों के रडार उनकी गतिविधियां पकड़ रहे थे। हालांकि हमें कभी मुठभेड़ का मौका नहीं मिला- मैं मानता हूं कि यह बेहद निराशाजनक अनुभव था।''

मिराज-2000 की रही अहम भूमिका
श्रीपद ने कहा तभी स्क्वाड्रन लीडर रहे डीके पटनायक ने करगिल युद्ध में इस्तेमाल लड़ाकू विमानों में से एक मिराज-2000 पर साथ उड़ने का मौका दिया। जब उनसे पूछा कि क्या करगिल के दौरान अपने मिशन से पहले उनके कोई घबराहट हुई थी, इस पर श्रीपद ने कहा, ''एक बार विमान का इंजन शुरू होने पर सब कुछ सामान्य हो जाता है। हम इसके लिए प्रशिक्षित थे। हालांकि तब थोड़ी आशंका तो जरूर हुई थी।

17 जून, 1999 को जब करगिल युद्ध चरम पर था, तब पटनायक मुंथो ढालो पर स्थित महत्वपूर्ण पाकिस्तानी चौकी का पता लगाने और उस पर हमला करने वाले पहले पायलट थे। लद्दाख के बटालिक सैक्टर में भारतीय सरजमीं पर घुसपैठ करने वाली पाकिस्तानी सेना के लिए यह चौकी उनकी प्रशासनिक और लॉजिस्टिक बेस थी। करगिल युद्ध के दौरान पूरी पाकिस्तानी सेना के लिए यह रीढ़ के समान था। हथियारों को निशाना बनाने की मिराज-2000 की कंप्यूटर असिस्टेड क्षमता के भरोसे स्क्वाड्रन लीडर पटनायक जैसे वायुसेना अधिकारियों ने काफी ऊंचाई से सीधा गोता लगाया और पाकिस्तानी सेना की वार मशीनरी की कमर तोड़ दी।


पाक के पास था अमरीका निर्मित स्टिंगर

टोकेकर और एयर वाइस मार्शल पटनायक अब वरिष्ठ ग्रुप कैप्टन बन चुके को 1999 के अभियान में उनकी बहादुरी के लिए सम्मान भी मिला। उन्होंने बताया कि जिस समय यह युद्ध हुआ तब पाकिस्तान सेना के पास जमीन से हवा में मार करने वाली अमरीका निर्मित स्टिंगर से लैस थे। कंधे पर रख कर चलाई जाने वाली स्टिंगर मिसाइलों का निशाना बनने का खतरा हमेशा ही बना रहता था लेकिन भारतीय सेना ने अपना मिशन पूरा किया।


33,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ते थे भारतीय विमान
भारतीय वायुसेना के दो विमानों, एक MiG-21 और एक Mi-17 हेलीकॉप्टर को पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया था, जिसमें पांच पायलट और वायुसैनिक शहीद हो गए थे। इस हमले से वायुसेना को इलाके में उस वक्त अपनी रणनीति बदलनी पड़ी थी। भारतीय लड़ाकू विमानों को पाकिस्तानी मिसाइलों के निशाने से बचने के लिए समुद्र तल से 33,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ना पड़ता था और उसी वक्त उन्हें बम बरसाने के लिए खतरनाक ढंग से सीधा गोता लगाना पड़ता था। पाकिस्तानी सैनिक इस दौरान भारतीय विमानों पर बदस्तूर गोलीबारी दागते रहते थे।

कारगिल युद्ध के इतने साल बाद अब वायुसेना में बहुत बदलाव आ चुका है। लेजर गाइडेड बमों और बिल्कुल सटीक हमला करने वाले हथियारों की उस समय खासी किल्लत थी, हालांकि अब यह हर स्क्वाड्रन के शस्त्रागार का हिस्सा है। 17 साल पहले करगिल में बेहद अहम भूमिका निभाने वाली मिराज-2000 विमान भी अब नए सेंसर्स, नए कॉकपिट और नए हथियारों से लैस है, जो कि इसे पहले से ज्यादा मारक बनाते हैं। भारतीय सेना पहले से ज्यादा ताकतवर हो चुकी है जिसका सामना कर पाना किसी भी दुश्मन के लिए अब इतना आसान नहीं है।

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