कारगिल विजय दिवस: जवान के अंतिम शब्द लौट आया तो आपका, नहीं तो देश का...

Thursday, Jul 26, 2018 - 11:51 AM (IST)

नोएडा,(विकास राजपूत): आज के दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत ने पकिस्तान द्वारा छेड़े छद्म युद्ध का अंत हुआ था। घोषित रूप से भारत की इस युद्ध में जीत हुई थी। इस युद्ध में अमर शहीद कैप्टन शशिकांत शर्मा उन चंद खुशकिस्मत लोगों में शामिल हैं जिन्हें कारगिल युद्ध में भाग लेने और देश के लिए अपनी जान देने का मौका मिला था। 5 अक्टूबर 1998 को हुई शशिकांत शर्मा की शहादत को यूं तो लगभग 20 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी उनका शहर नोएडा उन्हें भूला नहीं है।



मां सुदेश शर्मा ने बताया कि हर रोज घर से निकलते ही बेटे के वो अंतिम शब्द कान में गूंजने लगते हैं, मां क्यों चिंता करती हो, लौट आया तो आपका, नहीं तो देश का...। इन लफ्जों को याद करते हुए बेटे शशिकांत शर्मा का चेहरा आंखों के सामने आने लगता है। कभी सोचा नहीं था कि जिस गली में छोटी-छोटी अंगुलियां पकड़ कर अपने बेटे को घुमाया करती थी, किसी दिन उस गली को बेटे का नाम दे दिया जाएगा। कारगिल दिवस के अवसर पर नवोदय टाइम्स की टीम के साथ बात करते हुए शहीद कैप्टन की मां सुदेश शर्मा ने बेटे की बहुत सारी स्मृतियों को हमसे साझा किया। उन्होंने बताया कि बेटा तो शहीद हो गया और हमसे शारीरिक रूप से दूर चला गया। उसके जाने पर बड़ा गर्व होता है। आंसू पोछते हुए मां सुदेश शर्मा बताती हैं कि बेटे शशिकांत को बचपन से ही हलवा खाने का बहुत शौक था। वे हर पर्व में हलवा खाने के लिए मां के साथ घरेलू कार्य में भी हाथ बंटाता था। सेक्टर-37 की लाल मार्केट में प्रतिमा लगी हुई है। मैं उस प्रतिमा पर  हर वर्ष 26 जनवरी, 15 अगस्त, विजय दिवस व शहीद दिवस को पुष्प अर्पित करने जाती हूं। इसके अलावा हर रोज सुबह करीब पांच बजे उनकी प्रतिमा को नमन करने जाती हूं। 



उन्होंने बताया कि सरहद की सुरक्षा के लिए देश के नौजवानों को आगे आना चाहिए। सीमाएं सुरक्षित होंगी तो, हम सब लोग आराम से रह सकते हैं। शहीद कैप्टन विजयंत थापर की मां तृपिता थापर ने बताया कि 2 राजपूताना राइफल्स को तोलोलिंग और टाइगर हिल्स के बीच स्थित ब्लैक रॉक्स नामक चोटी पाकिस्तान के नापाक कब्जे से छुड़ाने की जिम्मेदारी दी गई। इस शेरदिल जवान की बटालियन ने भीषण जंग के बाद बेहद नामाकूल हालातों का सामना करके यहां भी फतह हासिल की, मगर मां भारती का ये जांबाज और दिलेर सिपाही इस मिशन के आखिरी दौर मे शहीद हो गया। मेरे बेटे ने बार-बार मुझसे कहा था कि मां अगर मुझे दोबारा इंसान बनकर पैदा होना पड़े तो मुझे फिर से फौजी बना देना। उन्होंने बताया कि कुपवाड़ा में कैप्टन विजयंत एक किसान की चार साल की बेटी से बहुत प्यार करते थे। जब भी समय मिलता तो वे उस बच्ची के साथ खूब खेलते थे। आज भी विजयंत के पिता हर वर्ष उस बच्ची की मदद करते हैं। रुखसाना अब 22 साल की हो चुकी है। च्दिलेर नौजवान फौजी शहीद कैप्टन विजयंत थापर और कैप्टन शशिकांत शर्मा को नवोदय टाइम्स कारगिल दिवस के अवसर पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। उनके शौर्य जांबाजी और वतनपरस्ती की मिसाल तो हमारे लिए एक नजीर है। 



शहीद होने तक फायरिंग करता रहा मेरा शेर  
कैप्टन शशिकांत शर्मा के पिता फ्लाइट लेफ्टिनेंट जेपी शर्मा अपने बेटे की बहादुरी के किस्से सुनाते हुए भावुक भी हो गए। उन्होंने ने बतयाा कि कश्मीर में 22 हजार 83 किमी की ऊंचाई पर माइनस 40 डिग्री तापमान में बने बाना लिसनिंग पोस्ट पर तैनाती के दौरान 4 अक्तूबर 1998 में पाकिस्तान की तरफ से की जा रही फायरिंग का जबर्दस्त जवाब दिया। इस बीच कई गोलियां लगने से शरीर का खून निकल गया। शहीद होने तक मेरे शेर ने न तो फायरिंग बंद की, न ही अपनी पोस्ट छोड़ी।



कारगिल युद्ध के शहीदों की कहानियां कई तो रोंगटे खड़े करने वाली हैं तो कई रुआंसा करने वाली। मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विजयंत थापर के आखिरी खत देश को समर्पित फौजी और रिश्तों की अहमियत समझने वाले व्यक्तित्व को बयान करता है। खत में कैप्टन थापर ने अपने परिजनों को युद्ध भूमि पर शहादत के प्रति अपने भाव, देश के लिए बार-बार मरने की इच्छा और युवा पीढ़ी को भारतीय सैनिकों की शौर्य गाथा से अवगत कराने की चाहत को व्यक्त किया।
 

Anil dev

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