शरीर में दुश्मन की गोली खाकर 20 साल से आज भी जिंदा है यह जाबांज, बर्तन धोने को है मजबूर

Thursday, Jul 25, 2019 - 10:52 AM (IST)

नई दिल्लीः 26 जुलाई को भारत कारगिल विजय दिवस मनाने जा रहा है। कारगिल युद्ध में हमारे 527 जवान शहीद हुए थे जबकि 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। भारत के वीर सपूतों ने युद्ध में अदम्य साहस से दुश्मनों को खदेड़ दिया था। एक तरफ भारतीय सेना पाकिस्तानी सैनिकों का सामना कर रही थी तो दूसरी ओर घुसपैठियों को खदेड़ रही थी। इस युद्ध में घायल हुए हमारे कई वीर जवान आज भी गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। लांस नायक सतवीर सिंह उन्हीं में से एक हैं। कारगिल युद्ध में पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाने वाले सतवीर सिंह आज कहां हैं और क्या कर रहे हैं, ये जानकार आपके शर्मिंदा हो जाएंगे। सतवीर सिंह एक जूस की दुकान में बर्तन धोकर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं।



एक पैर में आज भी फंसी है गोली
कारगिल युद्ध को 20 साल बीत चुके हैं लेकिन आज भी जाबांज जवान सतवीर के एक पैर में दुश्मनों की एक गोली फंसी हुई है। गोली की वजह से वे बैसाखी का सहारा लेकर चलते हैं। सतबीर सिंह के पैर में 2 गोलियां लगी थीं। एक तो पांव से लगकर एड़ी से निकल गई और दूसरी पैर में ही फंसी रह गई।



युद्ध जीते पर सिस्टम से हारे लांस नायक सतवीर
कारगिल युद्ध के दिल्ली से इकलौते जाबांज लांस नायक सतवीर युद्ध तो जीत गए लेकिन हमारे सिस्टम के आगे हार गए। 1300 घायल जवानों में सतवीर सिंह का भी नाम था। युद्ध में शहीद हुए अफसरों और सैनिकों की विधवाओं तत्कालीन सरकार में पेट्रोल पंप और खेती की जमीन मुहैया करवाने की घोषणा की थी। वहीं घायल सैनिकों को भी पेट्रोल पंप और जमीन देने कै ऐलान किया गया। घायल होने पर उनका इलाज दिल्ली सेना के बेस अस्पताल में करीब एक साल तक चला। ऐलान के बाद भी उनको पेट्रोल पंप नहीं मिल सका लेकिन गुजर-बसर के लिए 5 बीघा जमीन जरूर दी गई। वहां पर सतवीर सिंह ने फलों का बाग लगाया।

युद्ध में घायल होने के बाद मेडिकल ग्राउंड पर अनफिट करार दिया
तीन साल तक सब ठीक चल रहा था कि एक दिन एक बड़ी पार्टी के नेता की तरफ से उनसे संपर्क किया गया। उन्हें ऑफर दिया कि जो पेट्रोल पंप उनको अलॉट हुआ है उसे वे उस नेता के नाम कर दें। सतवीर सिंह ने वो ऑफर ठुकरा दिया, इसके बाद उनसे उनकी जमीन भी छीन ली गई। लांस नायक सतवीर ने भरे मन से बताया कि उन्होंने करीब 13 साल 11 महीने सेना में अपनी सेवा दी और इसी दौरान कारगिल युद्ध हुआ था। युद्ध में घायल होने के बाद मेडिकल ग्राउंड पर अनफिट करार दिया। दिल्ली का अकेला सिपाही होने पर सिर्फ सर्विस सेवा स्पेशल मेडल मिला। उन्होंने बताया कि 19 साल से उनकी फाइलें पीएम, राष्ट्रपति, मंत्रालयों में चक्कर लगा रहीं लेकिन आज तक न तो कोई मदद मिली और न ही कोई सम्मान। हां डिफेंस ने सम्मान जरूर बरकार रखा।



अकेले ढेर किए 7 पाकिस्तानी सैनिक
सतवीर सिंह युद्ध के समय को याद करते हुए बताते हैं कि 13 जून 1999 की सुबह हमारी एक टुकड़ी कारगिल की तोलोलिंग पहाड़ी पर थी। तभी घात लगाकर बैठे कुछ पाकिस्तानी सैनिकों ने फायरिंग शुरू कर दी। तब 9 सैनिकों की टुकड़ी की अगुवाई सतवीर ने ही की। उन्होंने एक हैंड ग्रेनेड बर्फ की पहाड़ी पर फेंका। जैसे ही ग्रेनेड फटा सात पाकिस्तानी सैनिक ढेर हो गए। हमारे भी सात जवान तब शहीद हुए। तभी उन पर एक तरफ से कई गोलियों की बौछार हुई जिनमें से एक गोली उनके पैर को छूते हुए निकल गई जबकि दूसरी आज भी उनकी एड़ी में फंसी हुई है। सतवीर ने बताया कि वे करीब 17 घंटे तक घायल अवस्था में पहाड़ी पर पड़े रहे। करीब तीन बार हेलीकॉप्टर उनको और अन्य घायल जवानों को लेने आया पर फायरिंग की वजह से उतर नहीं पाया। तकरीबन सारा खून बह गया था। किसी तरह हमारे साथी सैनिक ही हमें पहाड़ी से उठाकर लेकर गए। पहले श्रीनगर लाया गया और फिर 9 दिन बाद गिल्ली शिफ्ट किया गया।



जूस की दुकान से जीवनयापन
सतवीर सिंह ने बताया कि सबकुछ छीनने के बाद दो बेटों की पढ़ाई का खर्चा तक वे नहीं उठा पाए जिससे बच्चों की पढ़ाई छूट गई। अब पेंशन और जूस की दुकान से जो पैसा मिलता है उससे वे गुजर-बसर कर रहे हैं। 

Anil dev

Advertising