करगिल दिवस समारोहः युद्ध सरकारें नहीं लड़ती, देश लड़ता है- PM मोदी

Saturday, Jul 27, 2019 - 09:37 PM (IST)

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को करगिल की 20वीं वर्षगांठ के समापन समारोह में शिरकत करने इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम पहुंचे। करगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने के अवसर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। करगिल दिवस समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सरकारें आती जाती रहती हैं, सरकारें युद्ध नहीं लड़ती, युद्ध तो सेना लड़ती है, युद्ध पूरा देश लड़ता है। लेकिन जो देश के लिए जीने और मरने की परवाह नहीं करते वो अजर अमर होते हैं। सैनिक आज के साथ ही आने वाले पीढ़ी के लिए जीवन बलिदान करते हैं। वो आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित करने के लिए वह अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हैं। शासक प्रशासक कोई भी हो सकता है। किंतु पराक्रमी और उनके पराक्रम पर हर हिंदुस्तानी का हक होता है।

पीएम ने कहा, “करगिल विजय दिवस के इस अवसर पर आज प्रत्येक देशवासी राष्ट्र और शौर्य की एक प्रेरणागाथा को याद कर रहा है। उन्होंने करगिल में शहीद हुए वीरों को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों का भी अभिनंदन किया।

पीएम मोदी ने अपने पहले कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि 2014 में शपथ लेने के कुछ दिन बाद मुझे करगिल जाने का मौका मिला। उन्होंने उस लम्हे को भी याद किया, जब देश के जवान 20 साल पहले करगिल गए थे। उन्होंने कहा कि मै तब भी करगिल गया, जब युद्ध अपने चरम पर था। मैंने अपने देश के वीर जवानों के शौर्य को नमन किया था। पीएम ने कहा कि करगिल मेरे लिए तीर्थस्थल की तरह है।

प्रधानमंत्री ने अपने पहले कार्यकाल में सेना के लिए किए गए फैसलों की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि 2014 में शपथ लेने के बाद मेरी सरकार ने सेना की सालों से लंबित मांग "वन रेंक, वन पेंशन' योजना को लागू किया। उन्होंने कहा कि देश में शहीद हुए सैनिकों की याद में बने इस 'नेशनल वॉर मेमोरियल' की मांग कई दशक से निरंतर हो रही थी। बीते दशकों में एक दो बार प्रयास हुए, लेकिन कुछ ठोस नहीं हो पाया। उन्होेंने कहा कि आपके आशीर्वाद से 2014 में हमने "राष्ट्रीय समर स्मारक" बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी और तय समय से पहले इसका लोकार्पण भी होने वाला है। 

पीएम ने आजादी को याद करते हुए कहा, “1947 में क्या सिर्फ एक भाषा विशेष बोलने वाले आजाद हुए थे या सिर्फ एक पंथ के लोग आजाद हुए थे? क्या सिर्फ एक जाति के लोग आजाद हुए थे। जी नहीं पूरा भारत आजाद हुआ था”। जब हमने अपना संविधान लिखा था, क्या सिर्फ एक भाषा, पंथ और जाति के लिए लिखा था? जी नहीं पूरे भारत के लिए लिखा था। 20 साल पहले हमारे 500 से अधिक वीर सेनानियों ने करगिल की बर्फीली पहाड़ियों में कुर्बानियां दी थीं, तो किसके लिए दी थीं?

विक्रम बत्रा ने कहा था ये दिल मांगे मोर, किसके लिए कहा? 
वीर चक्र पाने वाले तमिलनाडु के रहने वाले बिहार रेंज के मेजर सर्वानंद हीरो बटालिक, वीर चक्र पाने वाले दिल्ली के रहने वाले राजपूताना राइफल्स के कैप्टन हनीफुद्दीन ने किसके लिए कुर्बानी दी थी? जब परमवीर चक्र पाने वाले हिमाचल प्रदेश के सपूत, जम्मू-कश्मीर राइफल्स के कैप्टन विक्रम बत्रा ने कहा था “ये दिल मांगे मोर” किसके लिए कहा था? उनका दिल किसके लिए मांग रहा था? अपने लिए नहीं, किसी एक भाषा, धर्म या जाति के लिए नहीं, पूरे भारत के लिए, मां भारती के लिए। आइए मिलकर ठान लें, ये बलिदान, कुर्बानियां व्यर्थ नहीं होने देंगे। हम उनसे प्रेरणा लेंगे और उनके सपनों का भारत बनाने के लिए जिंदगी खपाते रहेंगे। 

Yaspal

Advertising