रूस का कामोव-31 हवा में बनेगा भारतीय नौसेना की आंख, रक्षा मंत्रालय ने दी सौदे को मंजूरी

Friday, May 03, 2019 - 06:32 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत ने रूस के साथ 10 कामोव-31 हेलीकॉप्टर का सौदा किया है। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 3500 करोड़ रुपये का करार किया है। वजन में हल्के और दुश्मनों की टोह लेने में माहिर ये हेलीकॉप्टर नौसेना की आंख माना जाता है। रूसी नौसेना के लिए विकसित सैन्य हेलीकॉप्टर कामोव-31 वर्तमान में रूस के अलावा चीन और भारत की नौसेना में शामिल है। कामोव केए-31 का एयरफ्रेम केए-27 पर आधारित है।

इस हेलीकॉप्टर का नाटो नाम हेलिक्स है। इसमें प्रारंभिक चेतावनी रडार लगा हुआ है, जिसमें चालक दल के दो सदस्य होते हैं। यह हेलीकॉप्टर 12200 किलोग्राम के अधिकतम वजह के साथ उड़ान भरने में सक्षम है। भारतीय नौसेना ने 1 अगस्त 1999 को चार कामोव-31 हेलीकॉप्टर के लिए ऑर्डर दिया था। फरवरी 2001 को इस डील में पांच अन्य हेलीकॉप्टरों में शामिल किया गया। रूस के साथ हुई इस डील की कुल कीमत 20 मिलियन थी।

भारतीय नौसेना के लिए बनाए गए पहले कामोव-31 हेलीकॉप्टर ने 16 मई 2001 को पहली उड़ान भरी थी। नौ कामोव-31 हेलीकॉप्टरों में से पहले दो ने मास्को के पास कामोव के चेलकोवस्की हवाई क्षेत्र में अपना परीक्षण पूरा किया था। चार हेलीकॉप्टरों के पहले बैच को आधिकारिक तौर पर अप्रैल 2003 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और दूसरा बैच 2004 के अंत तक आया। भारतीय नौसेना में यह हेलीकॉप्टर न केवल विमानवाह पोत बल्कि विध्वंसक और फ्रिगेट और तट से भी संचालित होते हैं।

यह हेलीकॉप्टर एक साथ 40 एयरबॉर्न और समुद्री सतह पर मौजूद खतरों को ट्रैक कर सकता है। इसके अलावा 100 से 200 किलोमीटर के रेंज में लड़ाकू विमान का पता लगा सकता है। यह हेलीकॉप्टर 9840 फीट की उंचाई से 200 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद किसी भी नेवल शिप की पहचान कर सकता है। इसकी अधिकतम गति 250 किलोमीटर प्रति घंटा है जो 600 किलोमीटर के रेंज में ऑपरेट कर सकता है। इस हेलीकॉप्टर को हवा में भारतीय नौसेना की आंख माना जाता है क्योंकि यह खुले समुद्र में चलने वाले एरक्राफ्ट कैरियर और डिस्ट्रॉयर्स की रक्षा करता है। 


 

Yaspal

Advertising