कनाडा के चुनावों में जस्टिन ट्रूडो पर विदेशी हस्तक्षेप के आरोप, चीन की भूमिका पर सवाल और भारत के खिलाफ विवाद

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2024 - 09:56 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों गंभीर विवाद में फंसे हुए हैं, जहां उन्हें विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ने उन पर आरोप लगाया है कि चीन ने पिछले चुनावों में हस्तक्षेप कर चुनावी नतीजों को प्रभावित किया। इस मुद्दे पर ट्रूडो ने हाल ही में जांच आयोग के समक्ष बयान दिया, जिसमें उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी के कुछ सांसदों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।

विदेशी हस्तक्षेप के आरोप
कनाडा की लिबरल पार्टी पर यह आरोप है कि 2019 और 2021 के चुनावों में विभिन्न देशों, खासकर चीन, का सीधा हस्तक्षेप हुआ। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन देशों ने लिबरल पार्टी के उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाया। ट्रूडो ने जांच के दौरान कहा कि चीन को इस मामले में मुख्य आरोपी माना गया है, और इसके अलावा रूस, ईरान, भारत और पाकिस्तान का नाम भी लिया गया है। कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे ने ट्रूडो पर यह आरोप लगाया कि वे जानबूझकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "ट्रूडो भारत पर आरोप लगा रहे हैं, जबकि उन्हें चीन के हस्तक्षेप के बारे में चुप रहना चाहिए।"

ट्रूडो का बयान
जांच के दौरान ट्रूडो ने कहा कि उनके पास कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों, पूर्व सांसदों और उम्मीदवारों के नाम हैं, जो विदेशी हस्तक्षेप में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) को कंजर्वेटिव पार्टी को इस जानकारी से अवगत कराने का निर्देश दिया है, लेकिन पोइलिवरे को गुप्त मंजूरी नहीं मिली है, इसलिए वे इस मामले में अंधेरे में हैं। ट्रूडो ने यह भी कहा कि कंजर्वेटिव पार्टी ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है और केवल राजनीति कर रही है। हालांकि, उन्होंने उन सांसदों के नाम सार्वजनिक नहीं किए, जिन पर आरोप लगाया गया है। 

कंजर्वेटिव पार्टी का पलटवार
पियरे पोइलिवरे ने ट्रूडो के आरोपों का जोरदार जवाब दिया। उन्होंने कहा, "अगर ट्रूडो के पास सबूत हैं, तो उन्हें इसे जनता के सामने लाना चाहिए। उनका आरोप बेबुनियाद है और सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए है।" उन्होंने ट्रूडो पर आरोप लगाया कि वे अपनी पार्टी के भीतर बढ़ते विवाद से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। पोइलिवरे ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी ने कभी भी विदेशी हस्तक्षेप में शामिल होने का प्रयास नहीं किया। उन्होंने ट्रूडो को चेतावनी दी कि यदि वे गंभीर हैं, तो उन्हें सभी सांसदों के नाम सार्वजनिक करने चाहिए।

भारत के खिलाफ आरोप
इस विवाद के बीच, ट्रूडो की सरकार पर भारत से खराब रिश्तों के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। हाल ही में, ट्रूडो ने भारतीय राजनयिकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, खासकर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संदर्भ में। इससे भारत के साथ कनाडा के संबंधों में और तनाव उत्पन्न हो गया है। कंजर्वेटिव पार्टी का कहना है कि ट्रूडो भारत पर आरोप लगा रहे हैं ताकि वे चीन से जुड़े चुनावी हस्तक्षेप के आरोपों से ध्यान हटा सकें।

चीन का खेल
चीन पर आरोप है कि उसने कनाडा में चुनावी प्रक्रिया में गुप्त रूप से हस्तक्षेप किया। कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने पहले ही चेतावनी दी थी कि चीन ने 2019 और 2021 के चुनावों में हस्तक्षेप किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी-कनाडाई हान डोंग, जो ट्रूडो की लिबरल पार्टी से हैं, को चीन के सहयोग से चुना गया। कनाडा के चुनावों में जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी इस समय गंभीर संकट का सामना कर रही है। विपक्षी दल उनके ऊपर लगातार हमले कर रहे हैं, और जांच आयोग की रिपोर्टकनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों गंभीर विवाद में फंसे हुए हैं, जहां उन्हें विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ने उन पर आरोप लगाया है कि चीन ने पिछले चुनावों में हस्तक्षेप कर चुनावी नतीजों को प्रभावित किया। इस मुद्दे पर ट्रूडो ने हाल ही में जांच आयोग के समक्ष बयान दिया, जिसमें उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी के कुछ सांसदों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।

विदेशी हस्तक्षेप के आरोप
कनाडा की लिबरल पार्टी पर यह आरोप है कि 2019 और 2021 के चुनावों में विभिन्न देशों, खासकर चीन, का सीधा हस्तक्षेप हुआ। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन देशों ने लिबरल पार्टी के उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाया। ट्रूडो ने जांच के दौरान कहा कि चीन को इस मामले में मुख्य आरोपी माना गया है, और इसके अलावा रूस, ईरान, भारत और पाकिस्तान का नाम भी लिया गया है। कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे ने ट्रूडो पर यह आरोप लगाया कि वे जानबूझकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "ट्रूडो भारत पर आरोप लगा  की प्रतीक्षा की जा रही है। ट्रूडो को अपने आरोपों को स्पष्ट करने और अपनी सरकार की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यदि वे इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो इससे न केवल उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर होगी, बल्कि कनाडा के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 


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Content Editor

Mahima

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