जस्टिस गोगोई बोले- न्यायपालिका को सुधार नहीं, क्रांति की जरूरत

Friday, Jul 13, 2018 - 11:27 AM (IST)

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा कि न्यायपालिका को आम आदमी की सेवा के योग्य बनाए रखने के लिए ‘ सुधार नहीं एक क्रांति ’ की जरूरत है। उन्होंने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि न्यायपालिका को और अधिक सक्रिय रहना होगा।

न्यायपालिका उम्मीद की आखिरी किरण
न्यायमूर्ति गोगोई ने यहां तीन मूर्ति भवन के प्रेक्षागृह में‘ न्याय की दृष्टि विषय पर तीसरा रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान में कहा कि न्यायपालिका उम्मीद की आखिरी किरण है और वह महान संवैधानिक दृष्टि का गर्व करने वाला संरक्षक है। इस पर समाज का काफी विश्वास है। उन्होंने एक समाचार पत्र में ‘ हाउ डेमोक्रेसी डाइज ’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वतंत्र न्यायाधीश और मुखर पत्रकार लोकतंत्र की रक्षा करने वाली अग्रिम पंक्ति हैं। 

धारा 377 का भी उठाया मुद्दा
वरिष्ठ न्यायाधीश ने उन्होंने न्याय प्रदान करने की धीमी प्रक्रिया पर चिंता जताते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक चुनौती रही है। लेख में कई घटनाओं का जिक्र करते हुए लिखा कि क्या यहीं संवैधानिक नैतिकता की धारणा है जो में दिल्ली में सरकार बनाम एलजी के मामले में देखने को मिली और अब सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर चल रही सुनवाई में देखी जा रही है। 


अदालत के कामकाज पर उठाया सवाल
जस्टिस गोगोई ने कहा कि आजादी के पचास वर्ष बाद तक अदालत ने एक बहुत ही अच्छी व्यवस्था पैदा की है जिसे हम आज तक बढ़ा रहे हैं। लेकिन आज हम एक ऐसे जगह खड़े हैं जहां पर अदालत में ट्रायल शुरू होने से पहले ही एक ट्रायल होने लगता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार वरिष्ठ जजों में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने 16 जनवरी को इन चारों न्यायाधीशों से मुलाकात की। 
 

vasudha

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