''लोया मामले की जांच की मांग संबंधी याचिका के पीछे राहुल गांधी का अदृश्य हाथ था''

Thursday, Apr 19, 2018 - 02:59 PM (IST)

नई दिल्ली: जज लोया मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए भाजपा ने आज कहा कि यह याचिका राजनीतिक मकसद से दायर की गई थी जिसके पीछे राहुल गांधी का अदृश्य हाथ था और इसका मकसद अमित शाह पर लांछन लगाना था । भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि इस मुद्दे पर दायर ‘पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ वास्तव में ‘पालिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेशन’ था और यह राजनीतिक मकसद से याचिका दायर की गई थी और इस याचिका के पीछे अदृश्य हाथ था। इस झूठी याचिका के पीछे राहुल गांधी का अदृश्य हाथ था । उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता इस विषय पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने गए थे । इस मुद्दे पर कांग्रेस ने राजनीति के स्तर को नीचा करने को काम किया और इसके लिये राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए । उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी से आज साफ हो गया है कि किस प्रकार से कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने राजनीतिक द्वेष के लिए कोर्ट के माध्यम से राजनीति करने की कोशिश की थी। 

पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी जी मैं आपसे कहना चाहूंगा कि आपने देश की जनता के विश्वास को खो दिया है, सत्ता आपके हाथ से चले जाने से हताशा आ गई है, इसी वजह से आप बदले की भावना से काम कर रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को कड़ी मेहनत करनी चाहिए । उन्हें भाजपा अध्यच्र अमित शाह, भारतीय न्यायपालिका और लोकतंत्र पर निशाना साधने के लिये इनसे माफी मांगनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मृत्यु के मामले की स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिकायें आज खारिज करते हुए कहा कि न्यायाधीश की स्वाभाविक मृत्यु हुई थी। 

न्यायालय ने कहा कि ये याचिकायें न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने और बदनाम करने का गंभीर प्रयास थीं। इस विषय पर कांग्रेस का कहना है कि सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बी. एच. लोया की कथित रूप से रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मृत्यु की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले से और सवाल उठेंगे। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट किया है, ‘‘लोया मामले के फैसले का निष्पक्ष विश्लेषण पूर्ण ताॢकक आधार पर पहुंचना चाहिए। लेकिन, जब तक इसका तर्कपूर्ण निष्कर्ष नहीं निकलता, यह और सवाल खड़े करेगा और कई प्रश्न अनुत्तरित रहेंगे।’’     

Anil dev

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