नीट विवाद पर जेपी नड्डा ने कहा, बीमारी के कारण शरीर को नहीं मारा जाता
punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2024 - 06:22 PM (IST)
नेशनल डेस्क: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) में प्रवेश से जुड़ी कुछ खामियों की वजह से पूरी प्रक्रिया को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए। राज्यसभा में सदन के नेता और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष ने नीट का बचाव करते हुए कहा कि इसके लागू होने से पहले चिकित्सा शिक्षा एक खुला कारोबार बन गया था और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की सीटें 8 से 13 करोड़ रुपए तक में बेची जाती थीं।
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उच्च सदन में नीट और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को समाप्त करने के प्रावधान वाले एक गैर सरकारी संकल्प पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए नड्डा ने यह भी कहा कि नीट एक बहुत मजबूत तंत्र है और यह भारत के नौजवानों को चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में लाने के लिए बहुत तरीके से तैयार किया गया है। द्रमुक के एम मोहम्मद अब्दुल्ला ने आसन की अनुमति से शिक्षा को समवर्ती सूची से हटाकर राज्य सूची में डालने के प्रावधान वाले गैर सरकारी संकल्प को चर्चा के लिए पेश किया। इसी संकल्प में नीट-यूजी और एनटीए को समाप्त करने का प्रावधान है।
नड्डा ने कहा, ‘‘बीमारी के कारण शरीर को नहीं मारा जाता है। इसलिए नीट के अंदर और नीट के माध्यम से चलने वाली प्रक्रिया में प्रवेश संबंधी कुछ चीज आई है। यह बहुत बड़ा मजबूत तंत्र है। यह भारत के नौजवानों को चिकित्सा शिक्षा में लाने के लिए बहुत तरीके से तैयार किया गया है।'' कोरोना महामारी के खिलाफ देश में चलाए गए टीकाकरण अभियान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के अंदर जितने भी तंत्र मौजूद हैं, वह बहुत ही मजबूत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरीके से हम नेट को कमतर ना आंके। यह बहुत अच्छा सिस्टम है। गांव के लोगों को चिकित्सा शिक्षा में लाने का बहुत बड़ा माध्यम है। इसलिए इसके बारे में जब हम चर्चा करें तो इसकी बुनियादी जो भावना थी उसको नुकसान न पहुंचाएं।''
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल के दौरान नीट लाने से पहले चिकित्सा शिक्षा में भ्रष्टाचार व्याप्त था। उन्होंने कहा, ‘‘चिकित्सा शिक्षा व्यवसाय का अड्डा बन गई थी। जब मैं स्वास्थ्य मंत्री था और नीट ला रहा था, तो स्नातकोत्तर की एक सीट 8-8 करोड़ रुपए में बेची गई थी और अगर आपको रेडियोलॉजी जैसी विकल्प चुनना होता था तो यह राशि 12-13 करोड़ रुपए थी।'' उन्होंने कहा कि नीट परीक्षा आने से पहले छात्रों को मेडिकल परीक्षाओं के लिए देश भर में अलग-अलग शहरों में जाना पड़ता था।
नड्डा ने कहा कि धन और समय खर्च करने के अलावा, छात्रों को चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में भारी भ्रष्टाचार से भी निपटना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रवेश सूची 30-45 मिनट के लिए उपलब्ध कराईजाती थी और बाद में कहा जाता था कि छात्र नहीं आए इसलिए हम अपने विवेक से इन सीटों का उपयोग कर रहे हैं। यह एक व्यवसाय बन गया था। इसमें निहित स्वार्थ था। यह मामला लंबे समय से उच्चतम न्यायालय में लंबित था।'' इस मुद्दे पर विपक्ष के कई सदस्यों की ओर से नीट की खामियां गिनाए जाने पर नड्डा ने कहा कि इस प्रवेश परीक्षा को लेकर देश में एक ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है कि मानो राज्यों का हक मारा जा रहा है और छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है।
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उन्होंने कहा कि जब इस प्रकार की बातें की जाती है तो लोग भूल जाते हैं कि पहले चिकित्सा शिक्षा की स्थिति क्या थी। उन्होंने कहा कि नीट परीक्षा के कारण समाज के सभी वर्गो को चिकित्सा क्षेत्र में प्रतिनिधित्व बढ़ा है। उन्होंने कहा कि नीट में पहली बार मलयालम, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षाओं को शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि आज 13 भाषाओं में इसकी परीक्षा होती है और इसका फायदा यह हुआ है कि आज सरकारी स्कूल में पढ़ा बच्चा भी चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में आ रहा है।