भारत में पत्रकारिता आसान नहीं, सीपीजे ने जारी की रिपोर्ट

Monday, Aug 29, 2016 - 10:07 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत में पत्रकारिता खतरे से खाली नहीं है ऐसा ही कुछ दावा पत्रकारों की सुरक्षा पर निगरानी रखने वाली प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्था सीपीजे ने किया है। सीपीजे के अनुसार भारत में भ्रष्टाचार कवर करने वाले पत्रकारों की जान को खतरा हो सकता है। भारत में जहं एक और पत्रकारिता का क्रेज बढ़ रहा है वहीं जब 

42 पन्नों की रिपोर्ट की जारी
कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की 42 पन्नों की इस विशेष रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में रिपोर्टरों को काम के दौरान पूरी सुरक्षा अभी भी नहीं मिल पाती है। इसमें कहा गया कि 1992 के बाद से भारत में 27 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं जब पत्रकारों का उनके काम के सिलसिले में कत्ल किया गया। लेकिन किसी एक भी मामले में आरोपियों को सजा नहीं हो सकी है। रिपोर्ट के अनुसार इन 27 में 50प्रतिशत से ज्यादा पत्रकार भ्रष्टाचार संबंधी मामलों पर खबरें करते थे। 
 
प्रेस फ्रीडम में किया है मृत्यू का जिक्र
प्रेस फ्रीडम के नाम से भी जानी जाने वाली इस संस्था ने वर्ष 2011-2015 के बीच तीन भारतीय पत्रकारों - जागेंद्र सिंह, अक्षय सिंह और उमेश राजपूत की मृत्यु का जिक्र किया है। कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की इस रिपोर्ट के पहले, वर्ष 2015 में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की एक स्टडी ने कहा था कि पत्रकारों की हत्याओं के पीछे जिनका कथित हाथ होता है वे बिना सजा के बच कर निकल जाते हैं।  पीसीआई ने भारतीय संसद से देश में पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए एक नए कानून की भी मांग की थी।
 
रिपोर्ट में इन तीन पत्रकारों का किया जिक्र
1. अक्षय सिंह: एक निजी टीवी चैनल के रिपोर्टर अक्षय सिंह मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले की जांच कर रहे थे। मेडिकल कॉलेज दाखिलों में कथित धांधलियों और फर्जी डिग्री वाले इस घोटाले में कई बड़े नेता और अफसरों के खिलाफ सीबीआई जांच जारी है। अक्षय और उनकी टीम मध्य प्रदेश में एक ऐसे व्यक्ति का इंटरव्यू कर लौट रहे थे जिसकी बेटी की संदिग्ध अवस्था में मृत्यु हुई थी। एकाएक अक्षय की तबीयत खराब हुई और आकस्मिक मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृत्यु हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पडऩे से हुई थी।
2. जागेंद्र सिंह: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में स्थानीय पत्रकार जागेंद्र सिंह की मृत्यु अभी तक पहेली बनी हुई है। जागेंद्र ने फेसबुक पर प्रदेश के एक मंत्री के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ रखी थी और उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे. उनके परिवार वालों का दावा था कि कई कथित धमकियों के बाद स्थानीय पुलिस ने जागेंद्र के घर पर छापा मारा था जबकि प्रशासन के अनुसार ये सब कुछ जांच का हिस्सा था। हालांकि जागेंद्र ने 8 जून को अपनी मौत से पहले अपने बयान में कहा कि उन्हें पुलिस ने मारा पीटा और उनको आग लगा दी। 
3. उमेश राजपूत: वर्ष 2011 की शुरुआत में छत्तीसगढ़ में रायपुर से लगभग सौ किलोमीटर दूर छुरा इलाके में नई दुनिया के लिए काम करने वाले उमेश राजपूत देर रात काम से अपने घर लौट रहे थे कि उनके घर के पास पहले से घात लगाकर बैठे अपराधियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। बताया जाता है कि उमेश मेडिकल लापरवाही के कुछ मामलों की खबर जुटाने में लगे थे।
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