JNU के गैर-हिन्दी भाषी छात्रों ने प्रशासन पर भाषा थोपने का लगाया आरोप

Wednesday, Jul 26, 2017 - 10:22 PM (IST)

नई दिल्ली: जेएनयू से पीएचडी और एमफिल कर रहे कई गैर-हिन्दी भाषी छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर 'स्पष्ट रूप से' भाषा थोपने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने उनसे कहा है कि हिन्दी में नाम, केंद्र का नाम और शोध विषय या थीसिस नहीं लिखने पर उनके प्रोजेक्ट को स्वीकार नहीं किया जाएगा। जेएनयू के सहायक पंजीयक (मूल्यांकन) सज्जन सिंह ने कहा कि छात्रों को पिछले वर्ष भी यह जानकारी हिन्दी में लिखने के लिए कहा गया था।   


स्पष्ट तौर पर हिन्दी को थोपा जाना
सिंह ने 'मीडिया' से कहा, "केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक पिछले वर्ष से डिग्री प्रमाणपत्र अंग्रेजी और हिन्दी में जारी किए जाते हैं।"  एक तमिल शोधार्थी अरण कुमार ने आरोप लगाया कि उनको अपने नाम और विषय को हिन्दी में लिखने के लिए 'बाध्य' किया जा रहा है। तमिलनाडु के तिरवन्नामलाई के रहने वाले कुमार ने कहा, "वे डिग्री पर हमारे नाम का हिंदी स्वरूप लिखने की योजना बना रहे हैं। हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं है, फिर भी उसे संस्थागत संरक्षण दिया जा रहा है।"  विज्ञान केंद्र से पीएचडी कर रहे एक छात्र ने कहा कि यह 'स्पष्ट तौर पर हिन्दी को थोपा जाना' है। शोध प्रबंध और शोध पत्र दाखिल करने का बुधवार को अंतिम दिन था और यह मामला उस समय सामने आया जब कुछ गैर हिंदीभाषी छात्रों ने अनुवाद में समस्या आने की बात कही। एक बांग्ला स्कॉलर का कहना था कि तकनीकी शब्दों का अनुवाद नहीं किया जा सकता है।   

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