जया किशोरी ने प्रेमानंद महाराज के बारे में किया खुलासा, बताया पहला वीडियो कौन सा देखा था!
punjabkesari.in Tuesday, Feb 04, 2025 - 10:02 AM (IST)
नेशनल डेस्क: हाल ही में, प्रसिद्ध संत और कथा वाचिका जया किशोरी ने एक पॉडकास्ट में प्रेमानंद महाराज के बारे में एक दिलचस्प किस्सा साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि प्रेमानंद महाराज के बारे में उनका पहला अनुभव क्या था और उनका विचार किस तरह से उनके जीवन पर असर डाल चुका है।
जया किशोरी ने बताया कि जब उन्होंने प्रेमानंद महाराज का पहला वीडियो देखा था, तो वह वीडियो खासतौर पर *प्लाज* (प्याज) और *लहसुन* (गार्लिक) पर आधारित था। इस वीडियो में प्रेमानंद महाराज इन दोनों खाद्य पदार्थों के बारे में बात कर रहे थे, जिन्हें अक्सर धार्मिक दृष्टि से ‘पाप’ या ‘अशुद्ध’ माना जाता है। जया किशोरी ने कहा, "मैं हमेशा सात्विक भोजन करती हूं, और 99 प्रतिशत समय मैं सात्विक आहार का ही पालन करती हूं। लेकिन मैंने देखा कि लोग प्याज और लहसुन के बारे में यह मानते हैं कि इन्हें खाना पाप है।"
इसके बाद, जया किशोरी ने बताया कि प्रेमानंद महाराज ने इस विषय को जिस तरीके से समझाया, वह उनके लिए काफी प्रभावशाली था। प्रेमानंद महाराज ने इसे सरल और सशक्त तरीके से समझाया कि, "हमारे जीवन का उद्देश्य भक्ति और वैराग्य है। हमें एक मानसिकता की आवश्यकता है, और जब हम साधना, तप, और भक्ति का जीवन जीते हैं, तो हमें उस मार्ग के अनुसार भोजन करना पड़ता है, जो हमारी मानसिक स्थिति और साधना के लिए उपयुक्त हो। यह कोई पाप नहीं है।"
जया किशोरी ने आगे कहा कि वह संत के दृष्टिकोण से पूरी तरह सहमत हैं, क्योंकि उनकी बातों ने उनके नजरिए को और अधिक स्पष्ट किया। उन्होंने प्रेमानंद महाराज के विचारों का सम्मान करते हुए कहा, "अगर आप उस जीवनशैली में हैं, तो आपको वह आहार अपनाना पड़ेगा जो आपके साधना के लिए उपयुक्त हो। यह कोई गलत या पापपूर्ण चीज नहीं है।" जया किशोरी ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रेमानंद महाराज के इन विचारों ने उन्हें गहरे रूप से प्रभावित किया और उन्होंने देखा कि लोग उनकी बातों को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं।
यही वजह है कि आजकल प्रेमानंद महाराज के बारे में चर्चाएं तेजी से बढ़ रही हैं, क्योंकि उन्होंने बहुत सरल तरीके से गहरे विषयों को साझा किया है, जिससे हर कोई आसानी से जुड़ सकता है और समझ सकता है। जया किशोरी के अनुसार, संत के विचारों में एक गहरी समझ और सरलता थी, जिसने लोगों को आकर्षित किया और उन्हें भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। यह प्रेमानंद महाराज का ही प्रभाव था कि लोग उनके आश्रम राधाकेली कुंज तक यात्रा करते हैं, ताकि वे उनके सत्संग और शिक्षाओं का लाभ उठा सकें।