जापान सरकार का कर्मचारियों के लिए बड़ा ऐलान, कहा- बस प्यार पर दें ध्यान, बाकि...

punjabkesari.in Tuesday, Apr 22, 2025 - 06:09 PM (IST)

International Desk: एक तरफ भारत में उद्योगपति 70 से 90 घंटे प्रति सप्ताह काम करने की वकालत कर रहे हैं, वहीं जापान ने कार्य और जीवन के बीच संतुलन साधने के लिए सप्ताह में केवल चार दिन काम करने की नई नीति लागू कर दुनिया में भूचाल ला दिया है। यह कदम न केवल वर्क-लाइफ बैलेंस को बढ़ावा देता है, बल्कि जनसंख्या संकट से जूझ रहे जापान की सामाजिक रणनीति का भी हिस्सा है।

 

जापान में नई वर्क नीति का कारण 
टोक्यो मेट्रोपॉलिटन गवर्नमेंट की नई नीति के तहत अब कर्मचारी सप्ताह में चार दिन ही काम करेंगे। टोक्यो की गवर्नर यूरिको कोइके ने कहा, "हम चाहते हैं कि महिलाएं परिवार और करियर में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर न हों।" यह निर्णय खासकर माता-पिता के लिए फायदेमंद है, जिससे उन्हें बच्चों और घर को समय देने का अवसर मिलेगा। अध्ययनों से पता चला है कि चार दिन कार्य सप्ताह वाले पुरुष अपने बच्चों के साथ 22% अधिक समय बिताते हैं और घरेलू कार्यों में 23% अधिक योगदान करते हैं।

 

भारत में लंबा कार्य समय: बहस और विरोध
उधर भारत में 90 घंटे काम करने के प्लान को लेकर वर्कर डरे हुए हैं।  भारत में हाल ही में एलएंडटी के चेयरमैन एस.एन. सुब्रमण्यन और इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने कहा कि देश की प्रगति के लिए युवाओं को सप्ताह में 70-90 घंटे तक काम करना चाहिए। इस विचार को लेकर व्यापक बहस छिड़ गई है। आलोचकों का कहना है कि इतने लंबे समय तक काम करने से मानसिक तनाव बढ़ेगा, पारिवारिक जीवन प्रभावित होगा और कार्य उत्पादकता भी गिर सकती है। वर्तमान में भारत में औसतन 48 घंटे प्रति सप्ताह का कार्य समय है, जिसे लगभग दोगुना करने का विचार व्यवहारिक रूप से कठिन माना जा रहा है।

 

जापान की जनसंख्या चुनौती
जापान में जन्म दर बहुत कम है एक महिला पर औसतन 1.2 बच्चे, जबकि जनसंख्या स्थिर रखने के लिए यह दर 2.1 होनी चाहिए। जनवरी से जून 2024 के बीच केवल 3,50,074 बच्चों का जन्म हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.7% कम है। बूढ़ी होती आबादी और घटती वर्कफोर्स को देखते हुए जापान यह सुनिश्चित करना चाहता है कि युवा परिवार बढ़ाने से न डरें और उन्हें पर्याप्त समर्थन मिले।

 

वैश्विक ट्रेंड: कम वर्किंग आवर्स की ओर रुझान
ब्रिटेन में 200 से अधिक कंपनियों ने चार दिन कार्य सप्ताह को अपनाया है। डेनमार्क, नॉर्वे और ऑस्ट्रिया जैसे देशों में औसत कार्य समय 26-28 घंटे है। यमन में यह आंकड़ा केवल 25.9 घंटे है। इसके उलट, भूटान और सूडान में औसतन 54.5 और 50.8 घंटे काम किया जाता है। भारत में भी कुछ प्राइवेट कंपनियां कम कार्य समय की ओर बढ़ रही हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कोई नीति तय नहीं हुई है।

 
 


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Content Writer

Tanuja

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