अब घुसपैठ का आसानी से पता लगा सकेगी जम्मू-कश्मीर पुलिस

Monday, Oct 16, 2017 - 03:19 PM (IST)

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर पुलिस को जल्द ही नए गैजट्स से लैस करने की योजना बनाई गई है। दरअसल घुसपैठ पहचान प्रणाली (आई.डी.एस.) और इलेक्ट्रिक बूम बैरियर्स के जरिए आत्मघाती हमले के समय पुलिस प्रतिष्ठानों को सुरक्षित रखने की कवायद की जा रही है। पुलिस विभाग के सूत्रों के मुताबिक 2 से 3 महीनों के भीतर पुलिस 8 करोड़ रुपये के यंत्र खरीद लेगी। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों ने इच्छा जताई है कि घुसपैठ पहचान प्रणाली राज्य के प्रमुख पुलिस प्रतिष्ठानों के लिए बेहद जरूरी हैं। खासतौर पर घाटियों के लिए आत्मघाती हमलों के वक्त यह और भी जरूरी है।


सूत्रों ने कहा कि घुसपैठ का पता लगाने की प्रक्रिया में इस प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें मॉनिटरिंग डेस्क द्वारा ट्रिगर दबाने पर कंपन या झटका उत्पन्न होता है। इसमें सुरक्षाकर्मियों को न सिर्फ तैयार होने के लिए बल्कि आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भी पर्याप्त समय मिल जाता है। दिन के वक्त सुरक्षा को पुख्ता करने और आसानी से आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए विभाग इन स्थानों पर वाहनों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए (आर.एफ.आई.डी.) लगाएगा। अधिकृत लोगों को जैसे कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की गाडिय़ों में आरएफआईडी टैग फिट होगा, जो कि उन्हें बगैर किसी पूछताछ के आवागमन में सहूलियत मुहैया कराएगा। इसकी वजह से पुलिस प्रतिष्ठानों में आवाजाही के वक्त सुरक्षा के मद्देनजर भी समय की बचत होगी।


उन्होंने यह भी कहा  वाहनों के प्रवेश से पहले सुनिश्चित किया जाएगा कि गाडिय़ों में आरएफआईडी टैग लगा है या नहीं। इसके इतर जीपीआर सिस्टम शॉपिंग लिस्ट में शामिल एक अन्य गैजट है, जो पुलिस की आवश्यकता सूची में शामिल है। जीपीआर सिस्टम का इस्तेमाल आधुनिक विस्फोटक उपकरणों, लैंडमाइन का पता लगाने में किया जाता है। सूत्रों का कहना है श्विभिन्न ऑपरेशंस के दौरान सावधानी बरतते हुए जीपीआर सिस्टम जमीन में छिपे हुए विस्फोटकों का पता लगाने में कारगर साबित होता है।

 

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