अमरनाथ यात्रा पर खतरा बने ‘बेडरूम जिहादी’

Friday, Jun 02, 2017 - 06:40 PM (IST)

’श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र आतंकियों से लड़ाई लड़ रही सुरक्षा एजेंसियां का सामना नए शत्रु ‘बेडरूम जिहादियों’ से हो रहा है जो अफवाहें फैलाने और युवाओं को प्रभावित करने के लिए अपने घरों में बैठ कर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।
 कैसे हमला करते हैं ‘बेडरूम जिहादी’
वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो यही नया युद्ध क्षेत्र है और यही नई लड़ाई है। लेकिन यह लड़ाई पारंपरिक हथियारों से परंपरागत युद्ध क्षेत्रों में नहीं लड़ी जा रही बल्कि नए दौर के जिहादी युद्ध छेडऩे के लिए कंप्यूटरों और स्मार्टफोनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। एेसा वह कहीं से भी, कश्मीर के भीतर और बाहर, अपने घर में सुरक्षित बैठे हुए या सड़क पर, नजदीक के कैफे या फुटपाथ पर कहीं से भी कर सकते हैं। 

अदृश्य शत्रु से निबटना कठिन
अधिकारी, कश्मीरी पंडित समुदाय से आने वाले एक कांस्टेबल का उदाहरण देकर समझाते हैं कि इस अदृश्य शत्रु से निबटना कितना कठिन है। वह कांस्टेबल लापता हो गया था और गहन तलाश के बाद उसका शव यहां से 90 किमी दूर उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा में मिला था। लेकिन जांच शुरू होने से पहले ही पंडित समुदाय के लोगों ने एेसी पोस्ट डालना शुरू कर दी कि उसका आतंकियों ने अगवा किया था और वह शहीदों की मौत मरा।

अमरनाथ यात्रा को लेकर चिंता में सुरक्षा एजेंसियां
सुरक्षा एजेंसियों को सबसे ज्यादा चिंता अमरनाथ यात्रा को लेकर है जो 29 जून से शुरू होने वाली है। डर है कि वॉट्सएप, फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए नए दौर के जिहादी 40 दिवसीय तीर्थयात्रा से पहले घाटी में सांप्रदायिक दंगे भड़का सकते हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘यह आभासी युद्ध क्षेत्र है जहां शदों को अस्त्र बनाकर लड़ाई लड़ी जाती है। इसका युवाओं पर असर पड़ता है।’’  कई अधिकारियों का मानना है कि आगामी दिनों में जम्मू में अफवाहें फैलाई जा सकती हैं और इससे निबटने के लिए उनके पास ज्यादा वक्त नहीं बचा है।

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