बीते साल रक्तरंजित रहा कश्मीर, रिकार्ड तोड़ आतंकवादी हुए ढेर

Wednesday, Jan 02, 2019 - 03:20 PM (IST)

नई दिल्ली: लगभग तीन दशकों से आतंकवाद से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर में बीते वर्ष सेना आतंकवादियों पर भारी पड़ी और उसने जहां 250 से अधिक आतंकवादियों को ढेर किया वहीं आतंकियों से लोहा लेते हुए 90 से अधिक सुरक्षाकर्मी शहीद हुए तथा 37 नागरिक मारे गए।  नियंत्रण रेखा तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में भी 2018 के दौरान अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई और गत जुलाई में ही यह आंकड़ा 1400 को पार कर गया।  राज्य में लंबे अतंराल के बाद पूर्व नौकरशाह के बजाय किसी राजनीतिक नेता को राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई।

पीडीपी और भाजपा के बीच बढी तनातनी 
साल के शुरू में गठबंधन सरकार के घटक दलों पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच बढी तनातनी के चलते जून में सरकार गिर गई और राज्य में राज्यपाल शासन लगा दिया गया जो साल का अंत होते-होते राष्ट्रपति शासन में तब्दील हो गया। राज्यपाल शासन लगाते समय विधानसभा को लंबित रखा गया था लेकिन दिसंबर के शुरू में राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी। उन्होंने कहा कि यह कदम राज्य में विधायकों की संभावित खरीद फरोख्त के कारण उठाया गया।  वार्षिक अमरनाथ यात्रा के शांतिपूर्ण ढंग से पूरा होने तथा राज्य में लगभग 13 वर्षों के बाद शहरी निकायों के और सात वर्ष के बाद पंचायत चुनाव का सफल आयोजन प्रशासन की उपलब्धि रही। 

सुरक्षा बलों ने अपनाया आंतकवाद के खिलाफ सख्त रुख
केन्द्र ने नरम रूख अपनाते हुए जम्मू-कश्मीर में रमजान के दौरान सुरक्षा बलों के अभियानों को स्थगित कर दिया। सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद को लंबे समय से झेल रहे जम्मू-कश्मीर में सेना ने इस बार पुलिस और केन्द्रीय बलों के साथ मिलकर आतंकवादियों के खिलाफ सख्त रूख अपनाते हुए ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ शुरू किया। पत्थरबाजों के खिलाफ भी कड़ा रूख अपना गया। खुफिया एजेन्सियों और जांच एजेन्सियों ने आतंकवादियों के फडिंग नेटवर्क की कमर तोडऩे के लिए ‘ एंटी टैरर फंडिंग’ अभियान चलाकर उन्हें मिलने वाले हवाला के धन पर अंकुश लगा दिया। इससे बौखलाए आतंकवादियों ने पूरी ताकत से बार-बार घाटी में तबाही फैलाने की कोशिश की।

Anil dev

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