कनाडाः कनिष्क विमान बमकांड हमलावरों को लेकर जगमीत की चुप्पी पर उठे सवाल

Saturday, Oct 07, 2017 - 03:43 PM (IST)

टोरंटोः कनाडा में पहली बार राजनीतिक पार्टी के अश्वेत चीफ बनकर इतिहास रचने वाले न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP)  के लीडर जगमीत सिंह पर  पत्रकार टेरी माइलविस्की ने एयर इंडिया के कनिष्क विमान बमकांड के मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार को लेकर निशाना साधा है। पत्रकार टेरी ने बमबारी के मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार जिसने 289 कैनेडियनों सहित 329 लोगों की हत्या कर दी थी,  की तारीफ करने वालों की निंदा करने के सवाल पर बार-बार बचने पर जगमीत पर सवालिया निशान लगाए हैं। 

टेरी ने कहा कि परमार को शहीद मान कर उनके पोस्टर लगाने और उनकी तारीफ करने वालों बारे  जगमीत के कुछ भी कहने से बचने पर कनाडा के लोग हैरान हैं कि वो एेसा क्यों कर रहे हैं । एेसे में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जगमीत में क्या अंतर रह जाता है क्योंकि ट्रंप भी हमेशा सिख आतंकविदयों पर कुछ भी कहने से बचते रहते हैं। टेरी ने कहा कि उनका ख्याल है कि  परमार की निंदा से  जगमीत  इसलिए बच रहे हैं ताकि उनको वोट देकर इस राजनीतिक मुकाम तक पहुचाने वाले उनके सिख समर्थकों को ठेस न पहुंचे। उन्होंने कहा कि एेसा करके जगमीत बेशक अपने कुछ समर्थकों को तो खुश कर रहे हैं लेकिन बाकि लोगों को ठेस पहुंचा रहे हैं। 

इस संबंध में जगमीत सिंह का कहना है कि वह नहीं जानते कि सच्चाई क्या है और कौन इस घटना के लिए जिम्मेदार है लेकिन वह चाहते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और असल व्यक्ति को घटना का जिम्मेदार ठहरा कर कार्रवाई की जाए। उल्लेखनीय है कि 1985 में आयरलैंड के समीप भारतीय विमान कनिष्‍क 329 लोगों के साथ काल के ग्रास में समा गया था। यह दर्दनाक घटना उस वक्‍त हुई, जब विमान 31 हजार फुट की ऊंचाई पर था। अचानक उसमें विस्‍फोट हुआ और वह अटलांटिक महासागर में क्रैश हो गया। 329 यात्रियों में से कोई नहीं बचा था।

 

*** कनिष्क विमान बमकांड व इंदरजीत सिंह रेयात  की फाईल फोटो

दरअसल, मॉन्ट्रियल-लंदन-दिल्ली और मुंबई के बीच संचालित होने वाली उड़ान इस उड़ान में विस्फोटक रखा गया था। विस्‍फोटक को रेडियो में रखा था। हमले की जांच और सुनवाई करीब 20 साल तक चली। दो दशक तक सुनवाई करने के बाद कनाडा की अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि धमाकों के मुख्य संदिग्ध बब्बर खालसा गुट के सिख चरमपंथी थे। इस घटना को अंजाम देने में सिख चरमपंथियों के साथ कनाडा का गुट भी जुड़ा हुआ था। हालांकि दोषी सिर्फ इंदरजीत सिंह रेयात को पाया गया था और अदालत ने उसे 15 साल कैद की सजा सुनाई। फरवरी 2017 में इंदरजीत सिंह रेयात को कनाडा की अदालत ने रिहा कर दिया।
 

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