2 लाख मिड-लैवल कर्मियों को नौकरी खो जाने का डर

Wednesday, Nov 27, 2019 - 11:21 AM (IST)

नई दिल्ली: भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र (आई.टी. सैक्टर) में बड़े स्तर पर छंटनी किए जाने की आशंका है। भर्ती विशेषज्ञों के अनुसार अगले साल में इन्फोसिस और कॉग्निजैंट सहित अन्य आई.टी. कंपनियों द्वारा 2 लाख से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा सकता है। नैशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) की मानें तो कम से कम 3 साल तक छंटनी जारी रह सकती है। हालांकि कुछ प्रमुख क्षेत्र जैसे कि बिग डाटा, डाटा ऐनालिटिक्स, डाटा माइनिंग, ऑफिशियल इंटैलीजैंस, मशीन लॄनग, साइबर सिक्योरिटी और क्लाऊड कम्प्यूटिंग में आई.टी. पेशेवरों के लिए अपेक्षाकृत उच्च मांग रहती है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि मैनुअल टैस्ंिटग (रिप्लेस्ड बाय ऑटोमेशन), स्तर 1 टैक सपोर्ट (रिप्लेस्ड बाय बॉट्स) और नैटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन (रिप्लेस्ड बाय क्लाऊड इन्फ्रास्ट्रक्चर) जैसे कौशल व्यवसाय के लिए कम महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। 

कॉस्ट कटिंग की राह पर कंपनियां
आर्थिक सुस्ती के कारण आई.टी. सैक्टर की कंपनियां कॉस्ट कटिंग की राह पर चल रही हैं। कॉग्निजेंट ने भी इस स्ट्रैटजी को अपनाया है। ऐसे में जो कर्मचारी बैंच टाइम का लाभ उठा रहे हैं, उन्हें सतर्क होने की जरूरत है, चाहे वह किसी भी कंपनी के लिए काम कर रहे हों। पिछली कुछ तिमाही में कंपनी की विकास दर में गिरावट आई है, जिसके कारण कंपनी अपनी स्ट्रैटजी बदल रही है। आई.टी. कंपनी इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी और आरिन कैपिटल एंड मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन सर्विसेज के चेयरमैन टी.वी. मोहनदास पई ने कहा कि देश की आई.टी. सर्विस कंपनियां कारोबार में नरमी के चलते इस साल मध्यम स्तर के 30,000 से 40,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल सकती हैं।  पई ने कहा, ‘‘पश्चिम में यह सभी क्षेत्रों में होता है। 



भारत में भी जब कोई क्षेत्र परिपक्व होता है तब वहां मध्यम स्तर पर कई कर्मचारी होते हैं जो प्राप्त वेतन के अनुसार काम नहीं कर पाते।’’ उन्होंने कहा कि जब कंपनियां तेजी से वृद्धि करती हैं तब पदोन्नति होती है लेकिन जब इसमें नरमी आती है तब जो लोग उच्च स्तर पर मोटी तनख्वाह लेते हैं, उनकी संख्या बढ़ती जाती है। ऐसे में कंपनियों को समय-समय पर अपने कार्यबल का पुनर्निर्धारण करना होता है और लोगों की छंटनी करनी होती है। उन्होंने कहा कि परिपक्व उद्योग में हर 5 साल में एक बार तो ऐसा होता ही है।

Anil dev

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