शरद पवार ने उठाया को-ऑपरेटिव बैंकों में पड़े पुराने नोटों का मुद्दा

Wednesday, Mar 29, 2017 - 06:44 PM (IST)

नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद देश भर के बैंकों में भारी मात्रा में पुराने नोटों की शक्ल में कैश जमा हुआ और ये आंकड़ा लाखों करोड़ रुपए के पार जा पहुंचा था। हालांकि इसमें बैंकों का ऐसा कैश शामिल नहीं है जिसके आधार पर ये संख्या और बड़ी हो सकती है। इसी मामले को संसद में भी उठाया गया क्योंकि इसके चलते कुछ खास बैंकों पर निगेटिव असर हो रहा है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने नोटबंदी के फैसले के बाद जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों-डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक (डीसीसीबी) में भारी मात्रा में पुराने नोट पड़े होने का मुद्दा राज्यसभा में उठाया और कहा कि उन नोटों को करेंसी चेस्ट में जमा कराने की मंजूरी मिलनी चाहिए। ऐसा नहीं होने से किसानों को लोन देने में समस्याएं आ रही हैं।

शरद पवार ने राज्य सभा में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया और कहा कि रिजर्व बैंक के एक आदेश के बाद ऐसे बैंकों में भारी मात्रा में पुराने नोट पड़े हुए हैं। महाराष्ट्र के 31 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन बैंकों के पास 4600 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। शरद पवार ने कहा कि ऐसी स्थिति में बैंकों की वित्तीय स्थिति पर बुरा असर हो रहा है और इसके असर से रबी के मौसम में कर्जों के डिस्ट्रीब्यूशन पर भी देखा गया है।  

राकांपा नेता ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को भी लिखा है ताकि उन नोटों को करेंसी चेस्ट में जमा कराने की मंजूरी मिल सके।  उनकी मांग से कई सदस्यों ने समर्थन किया है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि वह इस मुद्दे की जानकारी वित्त मंत्री अरुण जेटली को देंगे। 

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