अब आसमान से दुश्मन पर नजर रखेगा भारत, ISRO ने लॉन्च किया CARTOSAT-3 सैटेलाइट
Wednesday, Nov 27, 2019 - 12:54 PM (IST)
नेशनल डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। पृथ्वी पर नजर रखने वाले भारत के उपग्रह कार्टोसैट-3 और अमेरिका के 13 नैनो उपग्रह लेकर जा रहे पीएसएलवी-सी47 को बुधवार सुबह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
ISRO launches PSLV-C47 carrying Cartosat-3 and 13 nanosatellites from Sriharikota https://t.co/zc1yET1du6
— ANI (@ANI) November 27, 2019
एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि पीएसएलवी-सी47 ने कार्टोसैट-3 को सफलातपूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि कार्टोसैट..3 तीसरी पीढ़ी का दक्ष उन्नत उपग्रह है जिसमें ‘हाई रिजॉल्यूशन इमेजिंग' क्षमता है। कार्टोसैट का समग्र वजन 1625 किलोग्राम और मिशन पांच वर्ष का है। यह व्यापक पैमाने पर शहरी योजना, ग्रामीण संसाधन और आधारभूत ढांचे का विकास, तटीय भूमि उपयोग आदि की बढ़ती मांगों को पूरा करेगा।
पीएसएलवी..सी47 पीएसएलवी की ‘एक्सएल' कान्फिग्रेशन में 21वीं उड़ान है। पीएसएलवी..सी47 अमेरिका के 13 वाणिज्यिक नैनो उपग्रहों को भी लेकर गया है। 44.4 मीटर ऊंचे पीएसएलवी-सी47 प्रक्षेपण यान का यह 49वां मिशन है। यह उपग्रह काटरसैट श्रृंखला का नौंवा उपग्रह है। इसरो का इस वर्ष यह पांचवां प्रक्षेपण अभियान है। कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा। इस कैमरे के जरिए बेहद बारीक चीजों को भी स्पष्ट तौर पर देखा जा सकेगा।
कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत सैटेलाइट है, जिसमें हाई रिजोल्यूशन तस्वीर लेने की क्षमता है। यह बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय भूमि के उपयोग और भूमि कवर के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करेगा। गौरतलब है कि इसरो ने इसी वर्ष 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था जो करीब-करीब 100 प्रतिशत सफल रहा था। इसरो ने एक बयान जारी कर बताया कि प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद भू-सर्वेक्षण उपग्रह काटरसैट-3 प्रक्षेपण यान से अलग होगा और अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित हो जाएगा।