इशरत संबंधी कुछ फाइलों का गायब होना समझ से परे : चिदंबरम

Wednesday, Jun 01, 2016 - 12:11 AM (IST)

मुंबई: पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि इशरत जहां मुठभेड़ मामले की कुछ फाइलों का गायब होना समझ से परे है तथा उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उस हलफनामे में कानूनी, राजनैतिक या नैतिक रूप से कुछ भी गलत नहीं था जिसमें कहा गया था कि इस बात को साबित करने के लिए कोई अकाट्य प्रमाण नहीं था कि वह आतंकवादी थी।  
 
चिदंबरम ने यहां कहा, ‘‘यह समझ से परे है कि कुछ फाइलें क्यों गायब हैं। कौन से कागजात गायब हैं? गृह सचिव की आेर से एटॉर्नी जनरल को लिखे गए पत्र, एटॉर्नी जनरल को भेजा गया मसौदा हलफनामा, गृह मंत्रालय को एजी की आेर भेजा गया पुनरीक्षित हलफनामा तथा एजी को भेजा गया आखिरी हलफनामा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कागजात लापता हैं। इन कागजातों के गायब होने से किसको लाभ हुआ? यह लाभ सिर्फ उन लोगों को हुआ जो फायदे के लिए आरोप लगाते हंै। इन कागजातों से उसकी पुष्टि होगी जो मैं कहता आ रहा हूं। मैं पूरी फाइलों को सार्वजनिक रूप से सामने रखना चाहता हूं।’’  चिदंबरम ने इस बात को भी याद किया कि हलफनामा तब दायर किया गया था जब अहमदाबाद के मेट्रोपोलिटन जज एस पी तमांग की सितंबर 2009 की रिपोर्ट में कहा गया था कि मुठभेड़ फर्जी थी।  बाद की जांचों में भी कहा गया था कि मरने वाले लोग पुलिस की हिरासत में थे और उनके पास से बरामद हथियार पुलिस ने रखे थे। यह जांच पहले एसआईटी और बाद में सीबीआई ने की थी।  
 
चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘विवरण कहता है कि यह फर्जी मुठभेड़ थी। जो लोग मारे गए थे वे दो या तीन दिन से अधिक समय से हिरासत में थे। उनकी मध्यरात्रि में हत्या की गई। उनकी उस वक्त हत्या की गई जब वे कार में बैठे थे। उनके शवों पर 2.06 लाख रूपये रखे गए। ये सब एक न्यायाधीश का निष्कर्ष है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे हलफनामे में सिर्फ पांच या छह पैराग्राफ हैं। यह पहले हलफनामे को वापस नहीं लेता है।’’ उन्होंने कहा ‘‘दूसरा पैराग्राफ कहता है कि क्यों नया हलफनामा दायर किया जा रहा है और पांचवें पैरा में यह कहा गया है कि भारत सरकार नियमित रूप से राज्यों के साथ खुफिया सूचना साझा करती है। उसी के अनुसार, हम खुफिया सूचना साझा करते हैं।’’ 
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