ब्रिटेन-जापान मंदी की चपेट में, ऑस्ट्रेलिया में बेरोजगारी चरम पर, क्या आने वाली है महामंदी?

Sunday, Feb 18, 2024 - 07:55 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः एक बार फिर दुनिया में मंदी की आहट ने दस्तक दे दी है। आने वाले दिनों में दुनिया के कई देश मंदी के दौर में जा सकते हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे। ये आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में एक बार मंदी दस्तक दे दी है। ब्रिटेन से लेकर जापान तक आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में बेरोजगारी चरम पर है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या आने वाले दिनों में भारत पर भी इसका असर दिखेगा?

कोरोना महामारी का दुनिया की इकोनॉमी पर पड़ा बुरा असर खत्म भी नहीं हुआ था कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हो गया। इसने दुनिया में ईंधन की समस्या को तो बढ़ाया ही, साथ ही महंगाई को चरम पर पहुंचा दिया। भारत पर भी इसका असर पूरी तरह दिखा। फिर इसके बाद इजराइल और हमास का संघर्ष शुरू हो गया और ईरान भी इसमें कूद पड़ा। भारत के पड़ोसी मुल्कों को ही देखें तो बांग्लादेश को छोड़कर पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव सबकी हालत खराब है।

जापान और ब्रिटेन पहुंचे मंदी की चपेट में
भारत जिस ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और जिस जापान को पीछे करके दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का दावा कर रहा है। ये दोनों ही देश 2023 के अंत तक मंदी की चपेट में पहुंच चुके हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक लगातार दो तिमाहियों में दोनों देशों की आर्थिक गतिविधियों में गिरावट आई है, जिसकी वजह से दिसंबर 2023 तक इन दोनों देशों में ही मंदी की स्थिति बन चुकी है। अगर ब्रिटेन को छोड़कर हालत पूरे यूरोप की देखी जाए, तो यूरोपीय आयोग के मुताबिक यूरो जोन की 2024 की शुरुआत नरम रही है। आर्थिक वृद्धि दर अनुमान से कम है।

ऑस्ट्रेलिया में मंदी और अमेरिका में महंगाई चरम पर
वहीं अगर यूरोप से बाहर देखें तो ऑस्ट्रेलिया में बेरोजगारी दर पिछले दो साल में सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है। अमेरिका में भी हालात ठीक नहीं है। जनवरी की शुरुआत में ही यहां कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स ने लंबी छलांग लगाई है और महंगाई दर भी काफी ऊंचाई पर है। इस तरह लगभग दुनिया की इकोनॉमी को चलाने वाले सभी बड़े देशों की आर्थिक हालत खराब है।

क्या भारत पर होगा असर?
दुनिया की इस आर्थिक महामंदी का असर भारत पर होगा या नहीं, इस बारे में आरबीआई की हाल की मौद्रिक नीति को देखना चाहिए। देश के केंद्रीय बैंक ‘भारतीय रिजर्व बैंक’ की लगातार कोशिशों के बावजूद महंगाई नीचे नहीं आई है और उसका जमीनी असर भी नहीं दिख रहा है। यही वजह है कि आरबीआई ने रेपो रेट को लगातार छठवीं बार नहीं बदला और ये अब भी 6.5 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी हुई है। आरबीआई ने देश की जीडीपी ग्रोथ रेट भी 2024-25 में 7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है।

Yaspal

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