राजनाथ पर सलीम के बयान को लेकर लोकसभा की कार्यवाही चार बार स्थगित

Monday, Nov 30, 2015 - 04:11 PM (IST)

नई दिल्ली: असहिष्णुता के मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा के दौरान आज माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मोहम्मद सलीम  ने गृृहमंत्री राजनाथ सिंह के एक पत्रिका में छपे बयान का उल्लेख किया जिस पर कड़ा विरोध जताते हुए सत्ता पक्ष ने उसे वापस लेने की मांग की । इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध पैदा होने से सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी। सलीम ने देश में असहिष्णुता की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति पर नियम 193 के तहत चर्चा की शुरुआत करते हुए आरोप लगाया कि सरकार के मंत्री ही असहिष्णुता फैलाने वाले बयान दे रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने एक अंग्रेजी पत्रिका में छपे सिंह के बयान को उद्धृत किया जिस पर गृहमंत्री ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा  कोई बयान नहीं दिया है। 
 
सत्ता पक्ष की ओर से सलीम से बयान वापस लेने की मांग की गयी लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। इस गतिरोध के कारण सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित की गयी।  कार्यवाही तीन बार स्थगित होने के बाद फिर शुरू हुई तो दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर अड़े रहे। श्री सलीम ने कहा कि वह अपने शब्दों से पीछे नहीं हटेंगे। सरकार चाहे तो मामले की जांच करा ले। उन्होंने कहा ‘मैंने गृह मंंत्री पर कोई लांछन नहीं लगाया है। मेरी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। मेरा तो यहां तक मानना है कि अगर वह मोदी के बदले देश के प्रधानमंत्री होते तो बेहतर होता।’ इस पर संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडु ने कहा कि सदन नियमों के हिसाब से चलेगा। अध्यक्ष व्यवस्था दे तब सदन आगे बढेगा। इस पर हंगामा बढने पर उपाध्यक्ष एम. थम्बीदुरै ने सदन की कार्यवाही चार बजे तक स्थगित कर दी। इससे पहले भाजपा की तरफ से किरीट सोमया, मीनाक्षी लेखी तथा अन्य कई सदस्य नियमों का हवाला देते हुए माकपा सदस्य से गृहमंत्री के संबंध में दिए गए बयान वापस लेने की मांग करने लगे। 
 
लेखी ने कहा कि यह गंभीर मामला है और इस पर सदस्य के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है।  इसी बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूढी ने फिर कहा कि जब तक सदस्य अपने बयान वापस नहीं लेते सदन की कार्यवाही चलाना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि चर्चा में सत्ता पक्ष की तरफ से नियमों का पालन करते हुए पूरा सहयोग दिया जा रहा है। सदस्य अपनी बात को वापस लेते हैं तो यह बहुत अच्छा होगा। उनका कहना था कि विपक्ष ने जो चाहा सत्ता पक्ष वही कर रहा है। विपक्ष ने कहा कि पहले माकपा के सदस्य बोलें उसके बाद कांग्रेस बोले तो सदन इस पर सहमत है फिर भी सत्ता पक्ष को सहयोग नहीं किया जा रहा है। खुद गृहमंत्री इस संबंध में बड़ा बयान दे चुके हैं इसलिए वह श्री सलीम से बयान वापस लेने का अनुरोध कर रहे हैं।  
 
सलीन ने कहा कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि वह किसे जवाब दें। सत्ता पक्ष के एक के बाद एक नेता उन्हें घेरने की कोशिश कर रहे हैं और अनावश्यकरूप से बात को बढा रहे हैं। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यह सब ठीक नहीं हो रहा है।  इसी दौरान कांग्रेस के वीरप्पा मोइली ने दोनों पक्षों के बीच सहमति बनाने का प्रयास करते हुए कहा कि यदि सदस्य अपना वक्तव्य वापस नहीं करते हैं तो भी उसका कोई मतलब नहीं रह जाता है क्योंकि खुद गृहमंत्री कह चुके हैं कि उन्होंने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया है। गृहमंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि कोई गृहमंत्री इस तरह का वक्तव्य नहीं दे सकते हैं तो इसका मतलब हुआ कि उन्होंने वक्तव्य नहीं दिया तो फिर विवाद खत्म होना चाहिए क्योंकि गृह मंत्री बयान दिया ही नहीं है तो इसमें फिर वक्तव्य वापस लेने का सवाल कहां रह जाता है।
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