ड्रग्स के पैसे से आतंकियों को फंडिंग, 30 रैकेटों का पर्दाफाश

punjabkesari.in Saturday, Mar 16, 2019 - 09:46 AM (IST)

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): ड्रग्स की तस्करी से आने वाला पैसा न सिर्फ स्थानीय माफिया को संचालित करता है, बल्कि आतंकवाद का मुख्य पोषक है। गिरफ्त में आए ड्रग्स तस्करों ने खुलासा किया है कि हेरोइन का काला कारोबार अफगानिस्तान में बैठे बड़े ड्रग्स तस्कर कर रहे हैं। ये अपने नेटवर्क के जरिए अफगानिस्तान से हेरोइन पाकिस्तान भेजते हैं, जहां से जम्मू-कश्मीर होते हुए यह भारत आती है, जिसे देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जाता है। चूंकि तस्करी पाकिस्तान के रास्ते की जा रही है, इस वजह से आशंका जताई जा रही है कि ड्रग्स से होने वाली काली कमाई को आतंक के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। 

सप्लाई करने का एक बड़ा केंद्र दिल्ली
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन दिनों सीमा पार से पैसे के रूप में मादक पदार्थों का लेनदेन भी आतंकियों की फंडिंग का बड़ा जरिया बन गया है। पंजाब और कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठनों के माध्यम से ड्रग्स उपलब्ध कराए जाते हैं। जब मादक पदार्थ तस्करों के पास पहुंचता है, तो तस्करों द्वारा इसकी पेमेंट कश्मीर में मौजूद आतंकी संगठनों और अलगाववादियों को हवाला आदि के माध्यम से की जाती है। फंडिंग का चौथा जरिया इंटरनेट ट्रांजैक्शन हो गया है। फंडिंग को लेकर कश्मीर में कई लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। इसके अलावा नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा में भी नशे के कारोबारियों की सक्रियता बढऩे के कारण भारत में ड्रग्स तस्करी बढ़ती जा रही है। तस्कर दिल्ली-एनसीआर को नशे का एक बड़ा हब तो मानते ही हैं।

ऐसे चलता है ड्रग्स का व्यापार
खरीदार से सौदा तय हो जाने के बाद कोरियर सेवा के जरिए इन प्रतिबंधित ड्रग्स को सील पैक बॉक्स में ग्राहक द्वारा मुहैया कराए गए पते पर भेजा जाता है। पेमेंट के लिए केडिट कार्ड अथवा इंटरनेशनल ऑनलाइन मनी ट्रांसफर सर्विस का प्रयोग होता है। ज्यादातर मामलों में डिलीवरी के बाद ही होती किया जाता है। जबकि एक बार ग्राहक की संतुष्टि होने पर एडवांस में भी भुगतान कर दिया जाता है। पुलिस का कहना है कि इस नेटवर्क से जुड़े अन्य तस्करों की जानकारी भी मिल रही है। पता चला है कि म्यांमार से हेरोइन लाकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और यूपी तक तस्करी की जा रही थी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह दिल्ली पुलिस द्वारा इस साल में ड्रग्स की सबसे बड़ी रिकवरी है। 

इन ड्रग्स का चलन बढ़ा
साल 2018 में कुल 198 किलो हेरोइन जब्त की जा चुकी है, जबकि साल 2017 में लगभग 54 किलो हेरोइन रिकवर की थी। इसके अलावा 30 रैकटों का पर्दाफाश कर स्पेशल सेल की टीम ने करीब पांच दर्जन लोगों को पकड़कर जेल पहुंचा लिया है, जबकि कोकिन व हेरोइन जैसे नशीले पदार्थों को लेकर जांच एजेंसियों की सख्ती के चलते नशे का सेवन करने वालों के बीच अब प्रतिबंधित ड्रग्स जैसे डायजेपाम, मण्ड्रेक्स, एफेटेमिन, मार्फिन, केटामाइन, मेथमफेटामाइन, एमडीएमए, पेंटाज़ोकिन, स्यूडोफिड्रिन, म्याऊ-म्याऊ और कॉडिन का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। 

नशीले पदार्थ पैदा करने वाले प्रमुख देश

  • -अफगानिस्तान दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक है। यहां सालाना 5000 से 6000 टन अफीम पैदा होती है। अफगानिस्तान से नाटो सेनाओं की वापसी के बाद इसके उत्पादन में और बढ़ोतरी हुई है। अमेरीका और एशिया यहां की अफीम के सबसे बड़े खरीदार हैं।
     
  • -कोलंबिया, बोलीविया और पेरू दुनिया भर में कोकेन के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। तीनों देश में कोका के पत्तियों की खेती 1,35,000 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में होती है। यूएन की एंटी नार्कोटिक्स एजेंसी (यूएनओडीसी) के अनुसार कोलंबिया में प्रत्येक वर्ष 300 से 400 टन कोकीन पैदा होती है। दक्षिणी अमेरीका, उत्तरी अमरीका और यूरोप कोकीन के सबसे बड़े खरीदार देश हैं।
     
  • -मोरक्को में प्रत्येक वर्ष 1500 टन चरस और गांजा पैदा होता है। मोरक्को में लगभग 1,34,000 हेक्टेयर में गांजे की खेती होती है। अमरीका के कुछ राज्यों और मैक्सिकों में चिकित्सकीय प्रयोग के लिए गांजे की खेती को कानूनी मान्यता प्राप्त है। इसकी आड़ में गांजे की तस्करी भी होती है।
     
  • -दक्षिण पूर्व एशिया में म्यामांर, लाओस और कंबोडिया अफीम और हेरोइन बनाने में सबसे आगे हैं। यहां सालाना 1000 टन अफीम तैयार होती है। थाइलैंड और इंडोनेशिया समेत कई दक्षिण पूर्वी एशियाई देश यहां की अफीम के प्रमुख खरीदार हैं।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Anil dev

Recommended News

Related News