Women''s Day : सलाम इन महिलाओं के जज़्बे को, ‘बी बोल्ड फॉर चेंज’

Wednesday, Mar 08, 2017 - 03:19 PM (IST)

चंडीगढ़ : आज इंटरनेशनल वीमेंस डे है। एक ऐसा दिन जो महिलाओं के सशक्त और सबल बनने की पहचान के रूप में सेलीब्रेट किया जाता है। यूं तो साल भर में कई तारीखें ऐसी होती हैं, जो महिलाओं को डिवोटेड होती हैं पर यह दिन कुछ खास है। यह उन महिलाओं को इंस्पायर करता है, जो आज भी दहलीज के अंदर घूंघट में कैद हैं और उन महिलाओं के जरिए जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को अबला नहीं बनने दिया। बल्कि राह में खड़ी मुश्किलों का सामना किया और पर्वत का सीना चीरकर रास्ता बनाया। 

 

परिवार के लिए चलाती है ऑटोरिक्शा :
मोहाली फेज-11 में रहने वाली 32 साल की बलजिंदर कौर ट्राइसिटी की इकलौती ऑटोरिक्शा महिला चालक हैं।ये भी सच है कि किसी शौक के चलते नहीं, बल्कि परिवार की रोजी-रोटी चलाने की मजबूरी के चलते बलजिंदर ने ऑटोरिक्शा चलाना शुरू किया था। पर आज वह इसे काफी एंजॉय कर रही हैं। एक मजबूत महिला होने का प्रमाण दे रही हैं। साथ ही अपने जैसी दूसरी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बनकर भी उभरी हैं।

 

बलजिंदर कौर पिछले एक साल से ऑटोरिक्शा चला रही हैं। फेज-11 मोहाली से लेकर इनके रूट में खरड़, बलौंगी, फेज 6 और मोहाली के कुछ अन्य रूट शामिल हैं। तीन-चार घंटे सुबह और 2-3 घंटे शाम को ऑटो चलाती हैं। एक दिन में 250-300 रुपए कमा लेती हैं और उसी से अपने परिवार के 6 सदस्यों का पालन-पोषण कर रही हैं।

 

लावारिस शवों का करती हैं अंतिम संस्कार : 
अंधविश्वास और दूसरी परंपराओं से हटकर अमरजीत कौर लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती हैं। इनकी कोई एनजीओ नहीं है। हांलांकि कुछ लोग इस काम में कभी- कभी आर्थिक मदद जरूर कर देते हैं। फिर भी पूरे तन, मन और धन से ये इस महान कार्य को पिछले 17 सालों से कर रही हैं। शहर में जितने भी लावारिस शव पुलिस को मिलते हैं, शिनाख्त न हो पाने पर उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी खुद अमरजीत ही उठाती हैं।

 

अंतिम संस्कार से पहले वे श्मशान घाट के रजिस्टर पर लावारिस शव को उम्र के हिसाब से रिश्ते का नाम देती हैं। पंजाब एंड सिंध बैंक में 20 साल काम करने के बाद ऐच्छिक रिटायरमेंट लेकर इन्होंने लावारिस शवों के अंतिम संस्कार का काम शुरू किया। अब तक 500 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार करवा चुकी हैं। 

 

दुनिया की दूसरी और देश की पहली फीमेल ढोली : 
जहां गीत सिंह जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि कौर की बजाय सिंह लगाने वाली जहां गीत काम भी ऐसा करती हैं जो अब तक लड़कों का क्षेत्र माना जाता था। इनका कहना है कि अपने पिता हरचरण सिंह, माता परमिंदर कौर की बदौलत ही वह यहां तक पहुंचीं। 

 

माता-पिता हर कदम पर साथ खड़े रहे। 20 जुलाई 1998 को जन्मीं जहां ने पांच वर्ष पहले गर्मी की छुट्टियों में सिलाई-कढ़ाई, पेंटिग से कुछ अलग हटकर सीखने की सोची और उस्ताद करतार सिंह से ढोल बजाना सीखना शुरू किया। अब तक जहां गीत 100 से ज्यादा लाइव शो कर चुकी हैं।


चीजों को इग्नोर करने की बजाय उनका सामना करें : 
मोहाली फेज - 7 इंडस्ट्रियल एरिया में गैरी आर्ट्स चलाने वालीं गगनदीप कौर ऐसी शख्सियत हैं जो अपने पिता का बिजनेस संभाल रहीं हैं। स्कलपचर डॉटर के नाम से प्रसिद्ध गगनदीप कौर ने अपनी दादी सरदारनी भगवान कौर की 9 फुट ऊंची प्रतिमा बनाई थी जिसका उनके पैतृक स्थान ननोकी, पटियाला में 8 मार्च को अनावरण किया गया था।

 

अभी हाल ही में इन्होंने माई भागो इंडस्ट्री फार वुमन में स्टैचू बनाकर लगाया है। गगनदीप कौर के पति आर्मी आफिसर हैं, अभी फिलहाल में ही इन्होंने आर्मी के लिए बोफोर्स गन भी बनाई है। 

'बी बोल्ड फॉर चेंज' :
वहीं इंटरनेशनल वुमेन्स डे के मौके पर हर साल यूनाइटेड नेशन द्वारा एक थीम दी जाती है। इस बार यूनाइटेड नेशन ने बी बोल्ड फॉर चेंज थीम रखी है। इस थीम के पीछे मकसद है जेंडर इक्वालिटी को बढ़ावा मिले। इस थीम के जरिए जेंडर इक्वालिटी के लिए लोग प्रोत्साहित हो। 

 

बी बोल्ड फॉर चेंज थीम के साथ महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना है और उन्हें पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा नई तकनीकों के इस्तेमाल के लिए महिलाओं को बढ़ावा मिले। कई महिलाए ऐसी भी हैं जो घर पर 24 घंटे काम करती है लेकिन उन्हें कोई पहचान नहीं मिल पाती है उन्हें भी पहचान मिलनी चाहिए। क्योंकि कहीं न कहीं उनके अप्रत्यक्ष सहयोग से समाज को योगदान मिल रहा है।

 

कई बार जॉब करने वाली महिलाओं के साथ उस जगह पर हिंसा जैसी घटना हो जाती है उन सबको रोकना भी मेन मकसद है। इसके अलावा वर्तमान में लड़कियों के साथ इव टीजिंग और सेक्सुल हैरासमेंट जैसी घटानाएं ​घटित हो रही है उनकों भी पूरी तरह खत्म करना है। 
 

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