भारत ने फिर लगाई पड़ोसी मुल्क को फटकार, कहा- आतंकवादी बनाने का कारखाना है पाकिस्तान
Wednesday, Mar 03, 2021 - 10:45 AM (IST)
इंटरनेशनल डेस्क: भारत ने मंगलवार को कहा कि खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहे पाकिस्तान को सरकार प्रायोजित सीमापार आतंकवाद पर रोक लगानी चाहिए और अपने अल्पसंख्यक और अन्य समुदायों के मानवाधिकारों का संस्थागत उल्लंघन बंद करना चाहिए। मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधि के एक बयान की प्रतिक्रिया में एजेंडा आइटम 2 के तहत अपने उत्तर के अधिकार का उपयोग करते हुए भारत ने पाकिस्तान को नयी दिल्ली के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण प्रचार के लिए मंच का दुरुपयोग करने के लिए आड़े हाथ लिया।
Pakistan’s deliberate misuse of this august forum for its malicious propaganda against India, aimed at diverting Council's attention from its own serious violations of human rights, has remained a constant: Pawankumar Badhe, First Secy, Permanent Mission of India to UN, at UNHRC pic.twitter.com/hdaswrVMrw
— ANI (@ANI) March 2, 2021
जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव पवनकुमार बधे ने कहा, खराब आर्थिक स्थिति वाला देश पाकिस्तान को एक अच्छी सलाह दी जाती है कि वह परिषद और उसके तंत्र का समय बर्बाद करना बंद करे, सरकार प्रायोजित सीमापार आतंकवाद पर रोक लगाए और मानव अधिकारों का संस्थागत उल्लंघन रोके। बधे ने कहा, इस परिषद के सदस्यों को अच्छी तरह से पता है कि पाकिस्तान ने खूंखार और सूचीबद्ध आतंकवादियों को सरकारी धन से पेंशन प्रदान की है और उसके यहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध आतंकवादियों की सबसे बड़ी संख्या है। भारतीय राजनयिक ने उल्लेख किया कि पाकिस्तानी नेताओं ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि वह आतंकवादी बनाने का अड्डा बन गया है।
Enforced disappearances, extrajudicial killings and, arbitrary detentions of those who try to speak against the establishment are rampant in Pakistan and have been carried out by the State’s security agencies with impunity: First Secy, Permanent Mission of India to UN, at UNHRC pic.twitter.com/d0CerkOldE
— ANI (@ANI) March 2, 2021
भारतीय राजनयिक ने कहा, पाकिस्तान ने इस बात को नजरअंदाज किया है कि आतंकवाद मानवाधिकारों के हनन का सबसे खराब रूप है और आतंकवाद के समर्थक मानवाधिकारों का सबसे बड़े उल्लंघनकर्ता हैं। बधे ने कहा कि परिषद को पाकिस्तान से पूछना चाहिए कि उसके अल्पसंख्यक समुदायों जैसे ईसाई, हिंदू और सिखों की संख्या आजादी के बाद से क्यों कम हो गई है तथा उन्हें और अन्य समुदायों जैसे अहमदिया, शिया, पश्तून, सिंधी और बलूच को ईश निंदा के कठोर कानून, प्रणालीगत उत्पीडऩ, जबरदस्त दुव्र्यवहार और जबरन धर्मांतरण का सामना क्यों करना पड़ता है। राजनयिक ने कहा, व्यवस्था के खिलाफ बोलने वालों को पाकिस्तान में लापता होने, न्यायेत्तर हत्याएं और मनमाने तरीके से हिरासत का सामना करना पड़ता है तथा इस सब राज्य की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दंड के भय के बिना अंजाम दिया जाता है। भारत ने आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कान्फ्रेंस के जम्मू कश्मीर पर बयान को भी खारिज किया और कहा उसे इस तरह के मामलों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।