सिंधु जल संधि नहीं होगी रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

Monday, Apr 10, 2017 - 12:39 PM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अाज भारत और पाकिस्तान के बीच की सिंधु जल संधि को अवैध और असंवैधानिक घोषित करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि संधि 1960 की है और आधी सदी से ये सही चल रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देगा। दरअसल, याचिकाकर्ता ML शर्मा ने मांग की थी कि यह संधि अंसवैधानिक है और इसे रद्द किया जाए। यह संधि नहीं बल्कि दो देशों के नेताओं के बीच निजी समझौता था। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने हस्ताक्षर किए थे, जबकि संवैधानिक होने के लिए इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने चाहिए।

बता दें कि करीब एक दशक तक विश्व बैंक की मध्यस्थता में बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल समझौता हुआ था। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू-पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत सिंधु घाटी की 6 नदियों का जल बंटवारा हुआ था। सिंधु बेसिन की नदियों को पूर्वी और पश्चिमी 2 हिस्सों में बांटा गया था। भारत इन नदियों के उद्गम के ज्यादा क़रीब है और यह नदियां भारत से पाकिस्तान की ओर जाती हैं। पूर्वी पाकिस्तान की 3 नदियों का नियंत्रण भारत के पास है, जिनमें व्यास, रावी और सतलज आती हैं। वहीं पश्चिम पाकिस्तान की 3 नदियों का नियंत्रण पाकिस्तान के पास है, जिनमें सिंधु, चिनाब और झेलम आती हैं। पश्चिमी नदियों पर भारत का सीमित अधिकार है। भारत अपनी 6 नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को देता है और भारत के हिस्से क़रीब 20% पानी आता है।
 

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