सिंधु समझौताः PAK की शिकायत पर वर्ल्ड बैंक ने बनाई कोर्ट, भारत ने जताया एतराज

Friday, Nov 11, 2016 - 01:33 PM (IST)

नई दिल्लीः पाकिस्तान की शिकायत पर वर्ल्ड बैंक ने सिंधु समझौते के मामले में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (COA) बनाई है, जिस पर भारत ने एतराज जताया है। जम्मू-कश्मीर में भारत किशनगंगा और रतले हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट चला रहा है। इस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताते हुए वर्ल्ड बैंक से शिकायत की थी। गुरुवार देर रात वर्ल्ड बैंक ने मध्यस्थता के लिए COA बनाने का फैसला लिया। साथ ही एक न्यूट्रल एक्सपर्ट अप्वाइंट किया जो पाक की शिकायत की जांच करेगा।

विदेश मंत्रालय ने जताया एतराज 
किशनगंगा और रतले प्रोजेक्ट पर विश्वबैंक के इस कदम का विदेश मंत्रालय ने कड़ा विरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि हम वर्ल्ड बैंक के फैसले को कानूनन अस्वीकार' करार देते हैं। भारत का कहना है कि वर्ल्ड बैंक ने एक पैरलल प्रोसेस अपनाई है, जिसके हिसाब से भारत नहीं चल सकता है। भारत ने कहा कि वो किसी भी ऐसी व्यवस्था का हिस्सा नहीं बन सकता, जो सिंधु जल समझौते के प्रोविजन के हिसाब से ना हो।

सही कदम उठाएंगे
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सिंधु समझौते के तहत एक मतभेद सुलझाने के लिए दो सिस्टम एक साथ नहीं काम नहीं कर सकते। इसलिए भारत वर्ल्ड बैंक के इस कदम को कानूनन अस्वीकार करता है। विकास स्वरूप ने कहा कि वर्ल्ड बैंक के फैसले के पक्षों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस मसले पर और क्या विकल्प हो सकते हैं उन पर भी चर्चा की जाएगी और भविष्य में सही कदम उठाया जाएगा। 

क्या है सिंधु जल समझौता?
सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) 1960 में हुआ। इस पर जवाहर लाल नेहरू और अयूब खान ने दस्तखत किए थे। समझौते के तहत छह नदियों- ब्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चेनाब और झेलम का पानी भारत और पाकिस्तान को मिलता है। पाकिस्तान आरोप लगाता रहा है कि भारत उसे समझौते की शर्तों से कम पानी देता है। वो दो बार इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में शिकायत भी कर चुका है। समझौते के मुताबिक, सतलज, व्यास और रावी का अधिकतर पानी भारत के हिस्से में रखा गया जबकि सिंधु, झेलम और चेनाब का अधिकतर पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया।

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