‘डॉक्टर बनने आए थे, अब ज़िंदा लौटने की कोशिश कर रहे हैं...’ ईरान में फंसे भारतीय छात्रों ने लगाई मदद की गुहार

punjabkesari.in Monday, Jun 16, 2025 - 01:39 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के रहने वाले इम्तिसाल मोहिदीन जो तेहरान की शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी में MBBS के तीसरे वर्ष के छात्र हैं, ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने कहा, "मैं शुक्रवार को रात 2:30 बजे तेज धमाकों की आवाज़ से जाग गया। घबराकर बेसमेंट में भागा। तब से लेकर अब तक चैन की नींद नहीं सो पाया हूं।" उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के आसपास धमाके हो रहे हैं और एक विस्फोट तो सिर्फ 5 किलोमीटर की दूरी पर हुआ।

शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी में 350 से अधिक भारतीय छात्र पढ़ते हैं, और अब वे सभी डर के साए में जीने को मजबूर हैं। यूनिवर्सिटी ने सभी कक्षाएं स्थगित कर दी हैं और छात्रों को बाहर निकलने से साफ मना किया गया है। इम्तिसाल के अनुसार, "हम अब पूरे दिन अपार्टमेंट के बेसमेंट में छिपे रहते हैं। रातभर बमबारी की आवाज़ें आती हैं। हमने तीन दिन से आंख बंद नहीं की है।"

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भारतीय दूतावास की सलाह: घर में रहें, हेल्पलाइन से जुड़े रहें

ईरान में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए, तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने एक सार्वजनिक सलाह जारी की है। इसमें सभी भारतीय नागरिकों और भारतवंशियों से घरों के अंदर रहने और दूतावास की ओर से दिए गए टेलीग्राम लिंक से जुड़ने को कहा गया है। दूतावास ने स्पष्ट किया कि यह लिंक केवल उन्हीं लोगों के लिए है जो वर्तमान में ईरान में हैं। दूतावास ने एक पोस्ट में कहा, "हम अनुरोध करते हैं कि सभी भारतीय नागरिक दिए गए टेलीग्राम लिंक से जुड़ें ताकि उन्हें स्थिति से संबंधित ताज़ा अपडेट मिलते रहें।" इसके साथ ही, दूतावास ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं।

छात्रों का कहना है कि डर का माहौल इतना गहरा है कि केवल सलाह और मैसेज से उन्हें राहत नहीं मिल रही है। इम्तिसाल मोहिदीन ने भावुक होकर कहा, "हम भारत सरकार से हाथ जोड़कर निवेदन करते हैं कि हमें जल्द से जल्द यहां से सुरक्षित निकाला जाए। इससे पहले कि हालात और बिगड़ें।"

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"डॉक्टर बनने आए थे, अब ज़िंदा लौटने की कोशिश कर रहे हैं..."

तेहरान से करीब 1,000 किलोमीटर दूर किरमान शहर में पढ़ रहे MBBS प्रथम वर्ष के छात्र फैज़ान नबी ने भी ANI से बात की। वे श्रीनगर के रहने वाले हैं और किरमान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में पढ़ाई कर रहे हैं। फैज़ान ने कहा, "हमारे शहर में आज गोलीबारी की आवाज़ें सुनी गईं। तेहरान में रह रहे मेरे दोस्त बेहद डरे हुए हैं। दहशत इतनी है कि हमें पीने का पानी 3-4 दिनों के लिए स्टोर करने को कहा गया है। हर दिन डर के साए में बीत रहा है।" उन्होंने आगे कहा, "मेरे माता-पिता दिन में 10 बार कॉल करते हैं। इंटरनेट इतना कमजोर है कि मैं ठीक से मैसेज तक नहीं भेज पाता। हम यहां डॉक्टर बनने आए थे, लेकिन अब हालत ऐसी हो गई है कि बस ज़िंदा घर लौटने की उम्मीद कर रहे हैं।"

जम्मू-कश्मीर के सोपोर की रहने वाली मिधात, जो ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में चौथे वर्ष की छात्रा हैं, ने बताया कि जब पहला हमला हुआ, तो वह रात सबसे डरावनी थी। न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में उन्होंने कहा, "धमाकों की आवाज़ें इतनी पास से आईं कि लगा जैसे सब कुछ यहीं हो रहा हो। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। सब घबराए हुए थे। हम लगातार अपने परिवार से संपर्क में रहने की कोशिश कर रहे हैं और हर एक खबर पर नज़र बनाए हुए हैं।"


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News Editor

Radhika

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