Pakistan: भारत के सिख तीर्थयात्रियों ने करतारपुर गुरुद्वारे में गेहूं की कटाई शुरू की

punjabkesari.in Thursday, Apr 17, 2025 - 03:46 PM (IST)

Islamabad: भारतीय सिख तीर्थयात्रियों ने बुधवार को करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब के खेतों में गेहूं की फसलों की कटाई की वार्षिक परंपरा शुरू की। गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यहीं बिताए थे। ‘परियोजना प्रबंधन इकाई करतारपुर' के तहत बैसाखी उत्सव में भाग लेने के लिए 6,000 से अधिक भारतीय सिख वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हैं। परियोजना प्रबंधन इकाई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सैफुल्लाह खोखर और ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड' (ईटीपीबी) के अन्य अधिकारियों के साथ सिख तीर्थयात्रियों ने विशाल खेतों में फसलों की कटाई की। तीर्थयात्रियों ने काम करते समय ‘जो बोले सो निहाल' का जयकारा लगाते हुए भूमि के साथ अपने आध्यात्मिक जुड़ाव और खुशी को व्यक्त किया।

 

यह आयोजन बैसाखी के उत्सव के साथ हुआ और सिख तीर्थयात्रियों ने अपने ऐतिहासिक गुरुद्वारों की अच्छी देखभाल करने और उन्हें गुरु नानक देव के खेतों की जुताई करने की अनुमति देने के लिए सरकार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने बैसाखी समारोह और खालसा जयंती के लिए किए गए गर्मजोशी भरे आतिथ्य और उत्कृष्ट व्यवस्थाओं के लिए भी सरकार की प्रशंसा की। खोखर ने कहा, ‘‘गुरु नानक देव की फसलों की कटाई एक ऐतिहासिक क्षण था, जो सिख धर्म की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है।

 

इस कार्यक्रम ने सिख धर्म में कृषि, सामुदायिक सेवा और भक्ति के महत्व को दर्शाया, जिसने सिख तीर्थयात्रियों पर एक अमिट छाप छोड़ी।'' बैसाखी समारोह के हिस्से के रूप में ‘परियोजना प्रबंधन इकाई करतारपुर' और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति द्वारा कबड्डी मैच का आयोजन किया गया। सिख तीर्थयात्रियों ने भांगड़ा सहित पारंपरिक पंजाबी नृत्य का आनंद लिया और अपनी खुशी और कृतज्ञता व्यक्त की। बैसाखी सिख नववर्ष का प्रतीक है और 1699 में गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व में खालसा पंथ के गठन की याद दिलाता है। ईटीपीबी के अनुसार, गुरु नानक देव की जन्मस्थली पर खालसा की 326वीं जयंती पर आयोजित समारोह में शामिल होने वाले सिखों में करीब 10,000 विदेशी सिख श्रद्धालु भी शामिल हुए।


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Content Writer

Tanuja

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