नई उम्मीदः USA में भारतीय वैज्ञानिक ने किया कमाल, AI तकनीक से सेकेंडों में कर रहे कोरोना जांच

Thursday, Apr 09, 2020 - 11:43 AM (IST)

लॉस एंजिलिसः कोरोना वायरस के कहरह से जूझ रही पूरी दुनिया के लिए फिर एक भारतीय वैज्ञानिक ने उम्मीद की नई किरण लेकर आया है। चेन्नई की एक यूनिवर्सिटी से बीटेक कर चुके वैज्ञानिक भरत नारायणन ने एक नई तकनीक विकसित की है जो केवल कुछ सेकेंड में और 98 फीसदी सटीकता के साथ कोरोना वायरस का पता लगा सकती है। भरत नारायण ओहियो की प्रसिद्ध डेटन यूनिवर्सिटी में रिसर्च साइंटिस्ट हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ डेटन रिसर्च इंस्टीट्यूट (यूडी) के वैज्ञानिक नारायणन ने एक विशिष्ट सॉफ्टवेयर कोड तैयार किया है जो छाती के एक्स-रे को स्कैन करके कोरोनाका पता लगा सकता है।

यह प्रक्रिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की एक डीप लर्निंग एल्गोरिथ्म का उपयोग करती है, जिसे कोरोना वायरस से जुड़े चिह्नों की खोज करने के लिए बीमार और स्वस्थ लोगों के फेफड़ों के एक्स-रे स्कैन का उपयोग करके तैयार किया गया है। नारायणन ने सिस्टम को कुछ ही घंटों में मौजूदा मेडिकल डायग्नोस्टिक सॉफ्टवेयर से अनुकूलित किया गया और फिर तीन दिनों से कम समय में लाइसेंस दे दिया गया।

यूनिवर्सिटी ऑफ डेटन रिसर्च इंस्टीट्यूट (यूडी) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले नारायणन वर्षों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काम कर रहे हैं ताकि प्रौद्योगिकी विकसित करने की उम्मीद के साथ स्वास्थ्य पेशेवरों को तेजी से दर पर रोगियों के निदान और उपचार में मदद मिल सके। नारायण पहले भी कई सॉफ्टवेयर कोड विकसित किए हैं जो 92 से 99 प्रतिशत सटीकता के साथ फेफड़े और स्तन कैंसर, मलेरिया, मस्तिष्क ट्यूमर, तपेदिक, मधुमेह रेटिनोपैथी और निमोनिया का पता लगाते हैं। चेन्नई की एक यूनिवर्सिटी से बीटेक करने वाले भरत नारायणन, देश में भी कुछ समय तक काम किया है।

 

Tanuja

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