अमरीकी 'नागरिका' हासिल करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर पहुंचे 'भारतीय'

Friday, Dec 01, 2017 - 05:32 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः अमरीकी नागरिकता हासिल करने के मामले में भारतीय दूसरे स्थान पर हैं। ये जानकारी खुद अमरीका के होमलैंड सिक्सॉरिटी विभाग (डीएचएस) ने  हाल में एक डेटा जारी कर दी। इस डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016 (1 अक्टूबर 2015 से 30 सितंबर 2016) में अमरीकी सरकार ने कुल 46,100 भारतीयों को अपने देश की नागरिकता प्रदान की है। हालांकि इस कड़ी में भारतीयों से आगे मैक्सिको के लोग रहे हैं। अमरीका ने इस साल कुल 7.53 लाख लोगों को अपने देश की नागरिकता दी है, जो भारतीय नागरिकों की संख्या से करीब 6 फीसदी ज्यादा है। 

ग्रीन कार्ड हासिल कर चुके लोग करते रहे अावेदन 
इस वित्त वर्ष में करीब 9.72 लाख लोगों ने अमरीकी नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन किया था। अगर पिछले साल से इसकी तुलना की जाए, तो यह 24 फीसदी अधिक है, जबकि साल 2015 की तुलना 2014 के आकड़ों से की जाए, तो इसमें सिर्फ 1 फीसदी का मामूली उछाल था। सामान्यतौर पर यहां ग्रीन कार्ड हासिल कर चुके दूसरे देशों के ज्यादातर नागरिक ही यहां की नागरिकता लेने के लिए आवदेन करते हैं। अमेरिका में ग्रीनकार्ड ले चुके लोग यहां लंबे समय तक रहकर काम कर सकते हैं। 

वर्क वीजा के नियम कड़े करने की वजह हुआ इजाफा
जानकारों के मुताबिक, अमरीका ने वर्क वीजा को लेकर अपने नियम अब पहले से अधिक कड़े कर रहा है, इसके चलते बीते दो सालों में अमरीका की नामरिकता हासिल करने के मामले में अब साल दर साल कुछ उछाल देखा जा रहा है। इस साल अमरीकी नागरिकता हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा मैक्सिकन लोगों के आवेदन किए थे। इनमें से ज्यादातर आवेदनों को इसलिए नकार दिया गया क्योंकि इन लोगों ने सरकार को यहां बसने का जो कारण बताया वह अमरीकी सरकार को उपयुक्त नहीं लगा। 

सिर्फ दो साल में ही आवेदनों की संख्या 4 से 7 लाख हुई  
इन दिनों अमेरिका अपने देश की नौकरियों को अपने नागरिकों को देने पर ज्यादा फोकस कर रहा है। ऐसे में यहां ग्रीन कार्ड ले चुके दूसरे देशों के नागरिक यहीं कि नागरिकता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। नेशनल पार्टनरशिप द्वारा जारी 'न्यू अमरीकन्स' रिपोर्ट बताती है कि बीते दो सालों में अमरीकी नागरिकता हासिल करने के लिए लंबित पड़े विचाराधीन आवेदन बढ़कर 77 फीसदी तक हो गए हैं। जून 2017 तक ही विभाग के पास 7.08 लाख लोगों के आवदेन विचाराधीन हैं। दो साल पहले इन मामलों की संख्या सिर्फ 4 लाख ही थी। 

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