India Australia Trade Pact 2026: 1 जनवरी से ऑस्ट्रेलिया में ''Zero Tariff'' पर बिकेगा भारतीय सामान

punjabkesari.in Tuesday, Dec 30, 2025 - 03:16 PM (IST)

India Australia Trade Pact 2026: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए साल 2025 कूटनीतिक और व्यापारिक मोर्चे पर बेहद ऐतिहासिक रहा है। जहाँ एक ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 50% तक के भारी टैरिफ लगाने से हड़कंप मचा था, वहीं मोदी सरकार की 'FTA (मुक्त व्यापार समझौता) रणनीति' ने पासा पलट दिया है।

ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ओमान जैसे देशों के साथ हुई 'जीरो टैरिफ डील' ने न केवल ट्रंप के टैरिफ के असर को कम किया है, बल्कि भारतीय निर्यातकों के लिए दुनिया के नए और बड़े दरवाजे खोल दिए हैं। यहाँ इस पूरे घटनाक्रम का विस्तृत विवरण दिया गया है:

1. भारत-ऑस्ट्रेलिया डील: नए युग की शुरुआत

दिसंबर 2025 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ECTA) के तीन साल पूरे हुए। इस अवसर पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एक बड़ा ऐलान किया है। इसके अनुसार 1 जनवरी 2026 से ऑस्ट्रेलिया भारतीय निर्यात की सभी 100% टैरिफ लाइनों को जीरो कर देगा। वहीं अगर वर्तमान स्थिति को देखें तो अब तक ऑस्ट्रेलिया लगभग 96% भारतीय सामानों को ड्यूटी-फ्री एंट्री दे रहा था। अब बाकी बचे 4% सामान (जिनमें कुछ संवेदनशील कृषि और औद्योगिक उत्पाद शामिल थे) भी बिना किसी टैक्स के ऑस्ट्रेलिया जा सकेंगे।

2. 'जीरो टैरिफ' से इन क्षेत्रों में होगा बड़ा लाभ

ऑस्ट्रेलियाई बाजार में भारतीय सामानों पर 0 टैरिफ होने से भारत के 'लेबर-इंटेंसिव' क्षेत्रों को सीधा फायदा होगा:

सेक्टर

लाभ का मुख्य कारण

टेक्सटाइल और लेदर

भारत के कपड़े और चमड़े के उत्पादों की कीमत ऑस्ट्रेलिया में कम होगी, जिससे उनकी मांग बढ़ेगी।

जेम्स एंड ज्वेलरी

इस क्षेत्र ने पहले ही 16% की वृद्धि दिखाई है। अब शून्य शुल्क से यह और भी प्रतिस्पर्धी हो जाएगा।

फार्मा और केमिकल्स

भारतीय दवाइयों और रसायनों को वैश्विक मानक के बाजार में बिना किसी बाधा के प्रवेश मिलेगा।

कृषि उत्पाद

कॉफी, मछली (Marine products), मसाले और ताजे फलों के निर्यात में भारी उछाल की उम्मीद है।

3. न्यूजीलैंड और ओमान के साथ FTA पर हुआ समझौता

सिर्फ ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, भारत ने हाल के हफ्तों में दो और बड़ी जीत हासिल की हैं। भारत-न्यूजीलैंड FTA डील भारत का सबसे तेजी से संपन्न होने वाला व्यापार समझौता है। इसके तहत न्यूजीलैंड भारत में 20 अरब डॉलर (लगभग ₹1.66 लाख करोड़) का निवेश करेगा। भारत के 100% निर्यात को न्यूजीलैंड में जीरो-ड्यूटी एक्सेस मिलेगा।ओमान भारत के 99.4% निर्यात को टैरिफ फ्री पहुंच प्रदान करेगा। यह खाड़ी देशों (GCC) के बाजार में भारत के लिए एक बड़े प्रवेश द्वार की तरह काम करेगा।

4. ट्रंप के टैरिफ वार का 'काउंटर अटैक'

अगस्त 2025 में ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाकर भारतीय निर्यात को प्रभावित करने की कोशिश की थी। इसके पीछे अमेरिका ने भारत के रूस के साथ व्यापारिक संबंधों को मुख्य कारण बताया था।

भारत ने इस चुनौती को अवसर में कैसे बदला?

  • बाजार का विविधीकरण (Diversification): भारत ने अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूरोपीय संघ जैसे देशों के साथ व्यापारिक वार्ता तेज कर दी।
  • इनपुट लागत में कमी: इन समझौतों के चलते भारत को ऑस्ट्रेलिया से सस्ती कच्ची ऊन, कोयला और खनिज मिलेंगे, जिससे 'मेक इन इंडिया' उत्पादों की लागत कम होगी।
  • नीतिगत सुरक्षा: भारत ने इन समझौतों में 'स्टील और एल्युमीनियम' जैसे क्षेत्रों को सुरक्षित रखा है ताकि घरेलू उद्योगों को नुकसान न हो।

भविष्य की राह

भारत और ऑस्ट्रेलिया अब 'ECTA' (शुरुआती समझौता) से आगे बढ़कर एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) की ओर बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत इसी तरह नए बाजारों के साथ 'जीरो टैरिफ' डील करता रहा, तो 2030 तक भारत का कुल निर्यात 2 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को आसानी से पार कर लेगा।

 


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News Editor

Radhika

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