इजरायल से हेरॉन ड्रोन और स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल खरीदेंगी भारतीय सेनाएं

Tuesday, Jul 14, 2020 - 10:33 PM (IST)

नेशनल डेस्कः एलएसी पर चीन के साथ तनाव भले ही कम होता दिख रहा हो लेकिन भारत अपनी तैयारियों में कोई कसर नहीं रखना चाहता। यही वजह है कि भारत सरकार द्वारा आवंटित किए इमरजेंसी फंड से अब पूर्वी लद्दाख बॉर्डर के लिए सेनाएं इजरायरल से हेरॉन सर्विलांस ड्रोन और स्पाइक एंटी मिसाइल खरीदेंगी। अन्मैंड एरियल व्हीकल (UAV) का इस्तेमाल तीनों भारतीय सेनाओं द्वारा पहले से भी किया जा रहा है।

हेरॉन ड्रोन
सरकार के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया है कि वर्तमान स्थितियों को देखते हुए हेरॉन यूएवी की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसी वजह से हम और ज्यादा संख्या में हेरॉन यूएवी का ऑर्डर देने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि यह नहीं बताया गया है कि कुल कितने हेरॉन मंगाए जाएंगे। गौरतलब है कि हेरॉन का इस्तेमाल वर्तमान में भारत की तीनों सेनाएं कर रही हैं। अब वायु सेना ड्रोन के आर्म्ड वर्जन पर भी काम कर रही है।

दूसरी तरफ आर्मी भी इजरायल से स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल खरीदने पर विचार कर रही है। इन मिसाइलों की एक खेप भारत के पास बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भी आई थी। पिछली बार सेना को 12 लॉन्चर और 200 स्पाइक मिसाइलें मिली थीं। सूत्रों का कहना है कि अब हम एंटी टैंक मिसाइल की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। इस बीच  DRDO भी पोर्टेबेल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल तैयार कर रहा है। कहा जा रहा है कि डीआरडीओ के इस प्रोजेक्ट के जरिए सेना को बल्क में ये मिसाइल सप्लाई करने में आसानी होगी। इसके अलावा सेना की तरफ से पहले ही स्पाइस 2000 बम खरीदे जाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है।

क्या है यह स्पाइस 2000
स्पाइस अंग्रेजी में स्मार्ट, प्रिसाइस इंपैक्ट, कॉस्ट इफेक्टिव का छोटा रूप है। स्पाइस अपने आप में बम नहीं है बल्कि यह एक खास आयुध सामग्री है। इसे हवा से जमीन पर गिराए जाने वाले बम के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है। इसे एक इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स या जीपीएस निर्देशित कर केवल अनियंत्रित छोड़े जाने वाले बम की जगह सटीक निर्देशित बम की तरह उपयोग में लाया जा सकता है।

Yaspal

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