अगर यह भारतीय ना होता तो विक्रम लैंडर तक ना पहुंच पाता NASA

Tuesday, Dec 03, 2019 - 01:39 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने आखिरकार चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को खोज ही निकाला। नासा ने एक तस्वीर जारी की है, जिसमें संभावित लैंडिंग वाली जगह से कई मीटर दूर तक लैंडर का मलबा बिखरा हुआ दिखाई दे रही है। इस मलबे को ढूंढ निकालने में सबसे अहम भूमिका रही चेन्नई के इंजिनियर शानमुगा सुब्रमण्यम की, जिसकी मदद से ही नासा ने चांद की सतह पर विक्रम लैंडर के अवशेष का पता लगाने में कामयाबी हासिल कर सका। 

नासा ने बयान जारी कर बताया है कि सुब्रमण्यम ने भारत के विक्रम लैंडर के अवशेष को खोज निकाला है। सुब्रमण्यम ने नासा द्वारा जारी की गयी चंद्रमा की तस्वीरों का अध्ययन किया और उसके बाद उन्होंने नासा को विक्रम लैंडर के अवशेष के वास्तविक लोकेशन की जानकारी दी। नासा ने बताया कि इस इंजिनियर के साथ ही कई अन्य लोगों ने भी नासा द्वारा जारी की गयी तस्वीरों को अध्ययन के लिए अपलोड किया था, लेकिन सिर्फ  सुब्रमण्यम ने ही विक्रम लैंडर के मलबे की वास्तविक जगह का अनुमान लगाया। इसके बाद नासा ने विक्रम लैंडर के मलबे को ढूंढ निकाला और उसकी तस्वीर जारी की।

नासा ने अपने बयान में कहा कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के क्षतिग्रस्त होने के बावजूद चंद्रमा के सतह के इतने करीब पहुंचना एक अछ्वुत उपलब्धि है। उल्लेेखनीय है कि सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर सॉफ्ट लैंडिंग के समय भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नियंत्रण कक्ष से सम्पर्क टूट गया था। विक्रम लैंडर का सम्पर्क जिस समय इसरो के नियंत्रण कक्ष से टूटा वह चंद्रमा की सतह लगभग 2.1 किलोमीटर दूर था।

सुब्रमण्यम भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने एक चैनेल से बात करते हुए कहा कि विक्रम लैंडर का संभावित मार्ग खोजने में कड़ी मेहनत की गई। वह हर रोज 4 घंटे इसकी खोज करते थे उन्हे तब बड़ी खुशी हुई जब उन्हे नासा द्वारा जारी किए गए फोटो में चांद की सतह पर सफेद डॉट मिले। इंजिनियर ने कहा कि मुझे हमेशा से अंतरिक्ष विज्ञान का शौक रहा है। मैंने कभी भी कोई लॉन्च नहीं छोड़ा। 

vasudha

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