5 नवम्बर से धनु राशि में बृहस्पति-शनि की युति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भारी
Tuesday, Oct 08, 2019 - 09:42 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
पड़ोसी देशों के साथ संबंध और खराब होंगे, भाजपा के सहयोगी दलों से वैचारिक मतभेद चरम सीमा पर पहुंचेंगे
जालंधर (धवन): ज्योतिष में बृहस्पति एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है, जो राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ व्यक्तिगत तौर पर भी कुंडलियों में भारी असर डालता है। लुधियाना के वैदिक ज्योतिषी संजय चौधरी के अनुसार बृहस्पति अब 5 नवम्बर 2019 को सुबह 5.20 बजे अपनी मूल त्रिकोण राशि धनु में प्रवेश कर जाएगा जिससे अनेकों ज्योतिषीय परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बृहस्पति के धनु राशि में प्रवेश के समय एक अन्य महत्वपूर्ण ग्रह शनि भी धनु राशि में संचार कर रहे होंगे। यह स्थिति 24 जनवरी 2020 तक उस समय तक बनी रहेगी, जब तक शनि अपनी स्व राशि मकर में प्रवेश नहीं कर जाते हैं। इस तरह लगभग 3 महीने तक बृहस्पति तथा शनि की युति धनु राशि में रहेगी तथा वह मिथुन राशि पर मिलकर सीधी दृष्टि डालेंगे।
संजय चौधरी ने कहा कि बृहस्पति तथा शनि की युति लगभग 19 वर्षों के बाद होने जा रही है, इसलिए हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में इस घटना को महत्वपूर्ण नजरों से देखा जा रहा है। इस बार एक विशेष बात यह है कि बृहस्पति व शनि की युति के समय केतु-राहु एक्सिज बना रहेगा। भारत की कुंडली में यह युति दूसरे व 8वें घरों में होने जा रही है, जोकि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भारी सिद्ध हो सकती है। भारत के गणराज्य की कुंडली में दूसरे घर में मंगल विद्यमान है, जोकि 7वें व 12वें घर के मालिक होने के कारण बृहस्पति व शनि की युति के समय काफी सक्रिय हो जाएंगे। 2 दिसम्बर के बाद भारत की दशा भी चंद्रमा-शनि की चलेगी, जिस कारण पड़ोसी देशों के साथ युद्ध जैसे हालात फिर से बनते हुए दिखाई देंगे। मंगल जोकि भूमि पुत्र हैं, इसलिए इस संचार के कारण रियल एस्टेट का कारोबार उछल सकता है।
केन्द्र में सत्ताधारी भाजपा की कुंडली में बृहस्पति-शनि की युति पहले व 7वें एक्सिज में बनने जा रही है, जिस कारण पार्टी की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण फेरबदल देखने को मिलेंगे तथा सहयोगी दलों के साथ वैचारिक मतभेद चरम सीमा पर पहुंच जाएंगे। इसी तरह से 26 दिसम्बर 2019 को सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है, जिस कारण कुछ छिपे हुए घोटाले भी सामने आ सकते हैं। कांग्रेस की कुंडली में बृहस्पति-शनि की युति चौथे व 10वें एक्सिज में होगी इसलिए पार्टी की संस्कृति में भी भारी परिवर्तन देखने को मिलेंगे, जबकि कुछ वरिष्ठ सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलों से रू-ब-रू होना पड़ेगा।